हरियाणा सरकार का पालिका चेयरमैनों को झटका:वित्तीय अधिकार में जोड़ी शर्तें; 10 दिनों में होगा बिल पर फैसला, पेमेंट कमेटी भी बनाई

हरियाणा सरकार ने नगर पालिका परिषद और नगर पालिका समिति के अध्यक्षों को बड़ा झटका दिया है। सरकार द्वारा बढ़ाए गए वित्तीय अधिकार के प्रयोग में शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग के द्वारा कुछ शर्तें जोड़ दी गई हैं। इन शर्तों के तहत हर बिल भुगतान का नागरिक निकाय द्वारा 10 दिन के भीतर फैसला किया जाएगा। इसके साथ ही पेमेंट कमेटी की 10 दिन में एक मीटिंग करना जरूरी किया गया है।

सरकार के द्वारा नगर पालिका परिषद और नगर पालिका समिति के अध्यक्ष 50 लाख रुपए तक के भुगतान के लिए संबंधित शहरी स्थानीय निकाय की भुगतान अप्रूवल कमेटी का चीफ बनाया गया है। साथ ही 50 लाख रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट के लिए, संबंधित डिस्ट्रिक्ट म्यूनिसिपल कमिश्नर को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

इन शर्तों का करना होगा पालन :- 
स्थानीय निकाय विभाग के सचिव विकास गुप्ता ने ठेकेदारों को पेमेंट जारी करने के लिए कुछ शर्तें रखीं हैं। इनमें नगरपालिका कार्यों की ई-टेंडरिंग, सक्षम प्राधिकारी द्वारा भुगतान वृद्धि राशि की मंजूरी, भुगतान की मंजूरी से पहले जिला स्तरीय निगरानी समिति की सिफारिश और कुछ ठेकेदारों के पक्ष में कार्यों का विभाजन न करना शामिल है।

कमेटी में ये लोग होंगे शामिल:- 
भुगतान जारी करने के लिए नागरिक निकायों के लिए एक समय-सीमा तय की गई है। पेमेंट समिति 10 दिनों में कम से कम एक बैठक और एक माह में तीन बैठकें करेगी। जिला मुख्यालय की नगर पालिका परिषद के मामले में मुख्य कार्यकारी अधिकारी या नगर पालिका परिषद-नगरपालिका समिति के कार्यकारी अधिकारी समिति के सदस्य होंगे। संबंधित पार्षद, जिनके वार्डों में विकास कार्य हुए हैं, वे भी भुगतान अनुमोदन समिति के सदस्य होंगे।बैठक की तिथि, समय और स्थान तय करने का अधिकार नगर निकाय अध्यक्ष को दिया गया है।

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