सम्पादकीय : राजभवन में अब होती है वीवीआईपी लोगों की सुनवाई ! : JYOTIKAN

राजभवन में अब होती है वीवीआईपी लोगों की सुनवाई !

 

वीरेश शांडिल्य की कलम से 
इसमें कोई दोराय नहीं कि राजभवन में ‘लाटसाहब’ रहते है और जिस जगह का नाम राज भवन हैं भला वहां आम आदमी की एंट्री की कैसे हो सकती हैं लेकिन राजभवन में बैठे लाटसाहब को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह जिस प्रदेश में लाटसाहब (महामहिम राज्यपाल) नियुक्त हैं उस प्रदेश के वह संविधान के मुखिया हैं और संविधान कहता हैं कि All Men Are Equal भारत का संविधान देश के वीवीआईपी के लिए भी और देश के अंतिम गरीब नागरिक के लिए भी दोनों को सरक्षण देता हैं इसलिए जो संविधान के राज्य में मुखिया हैं वह राजभवन की गरिमा को खंडित न होने दें व आम लोगों में यह चर्चा है कि गरीब व आम आदमी न राज भवन में जा सकता हैं न अपनी आप बीती बता सकता है राजभवन तो वीआईपी लोगों को स्थल बन गया है जिसपर देश के महामहिम राज्यपालों को चिंतन करना होगा क्योंकि देश की मायानगरी मुंबई में मात्र 15 दिन में दो इस तरह की घटनाए हुई जिनसे यह संदेश गया कि सिर्फ राजभवन राजे-महाराजों व बड़े लोगों की लिए हैं कुछ दिन पहले ही फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कौश्यारी से मिली और वह फोटो ऐसे मीडिया में दिखाई जैसे कंगना रानौत का कद महामहिम से बड़ा हो और आज 30 सितम्बर को फिर एक फोटो मीडिया में अभिनेत्री पायल घोष की छपी वह भी अपनी फरियाद लेकर प्रदेश के संवैधानिक मुखिया के पास गई l महामहिम की फोटो ऐसे दिखाई गई जैसे महामहिम जी पायल घोष के साथ फोटो खिंचवा रहे हो l देश के आम लोगों में इस बात का अच्छा सन्देश नहीं जाएगा l

क्या आम लोगों की समस्या व तकलीफें भी महामहिम ऐसे ही सुनते है ? आम लोगों के साथ जब पुलिस व सरकार ज्यादती करती हैं तब भी क्या महामहिम ऐसे ही आम आदमियों को सुनते हैं व राजभवन में प्रवेश करने देते है या फिर संविधान में लिखा है कि राजभवन में विशेष व वीआईपी व विशेष लोग ही अपनी फरियाद लेकर अंदर आ सकते हैं l कहीं न कहीं संविधान का इस बात से मजाक उड़ता हैं और महामहिम राज्यपाल संविधान के मुखिया होते हैं l इसलिए महामहिम को इस पर गंभीर चिन्तन करना चाहिए और ऐसे लोगों को मिले लेकिन उनके साथ फोटो खिंचवाई जाए ताकि इससे आम आदमी में हीनभावना पैदा नका हो सकें क्योंकि दुनिया में ऐसे-ऐसे लोग पड़े है जिनके संवैधानिक हकों की पुलिस व सरकार धज्जियां उड़ा रहीं हैं लेकिन उन्होंने राज्यपाल के स्टाफ के लोग या एडीसी रैंक के अधिकारी या पीए मिलने तक का समय नहीं देते और जैसे कंगना रानौत व कुछ मीडिया के लोग पक्ष ले रहे हैं उन्हें तुरंत समय दे दिया गया उनकी फोटोएं भी खींच गई और मीडिया में भी आई गई इससे लोगों में राजभवन व राज्यपाल का अच्छा संदेश नहीं गया l महाराष्ट्र के राज्यपाल को इस पर चिन्तन करना चाहिए l 
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