जिनके अपने घर शीशे के होते हैं वो दूसरे के ऊपर पत्थर नहीं फैंकते
अम्बाला (ज्योतिकण न्यूज) :
वीरेश शांडिल्य
जिनके अपने घर शीशे के होते हैं उन्हें दूसरे के घरों पर पत्थर फैंकते हुए सौ बार सोचना चाहिए। बहुत प्यारी शायर की लाईने हैं ‘तेरा घर भी शीशे का मेरा घर भी शीशे का, तू भी सोच मैं भी सोचूं’ पैसे का मतलब यह नहीं कि लोगों को मरवाना शुरू कर दो, लोगों को धमकाना शुरू कर दो, लोगों को मरवाने की धमकियां देनी शुरू कर दो, लोगों को गालियां देनी शूरू कर दो, लोगों के बारे में दुष्प्रचार शुरू कर दो, लोगों की पीठ के पीछे बुराईयां शुरू कर दो पैसा ऐसी शिक्षा कब देता है कि अपने फायदे के लिए दूसरे का कहीं तक भी नुक्सान कर दो। पैसा यह भी शिक्षा नहीं देता कि जब जरूरत हो गधे को बाप बना लो और जब बाप की जरूरत ना हो तो उसको भी लात मार दो बाप का दुष्प्रचार शुरू कर दो। इसलिए पैसे का सदपयोग होना चाहिए ऐसे पैसे का क्या फायदा जो आपको, हमको बुद्धिहीन कर दे। तभी तो कहते हैं कि पैसा तो दस नोहों की कृत कमाई का हो। कहते हैं जैसा खाओ अन्न वैसा हो मन। अगर आप दूसरे के लिए खड्डे खोदोगे, दूसरे का दुष्प्रचार करोगे हर आदमी को बिकाऊ समझोगे हर आदमी को खरीदने की कोशिश करेंगे तो एक दिन निश्चित तौर पर औंदे मुंह गिरेंगे।