बरौदा उपचुनाव में कौन होगा मुकद्दर का सिकंदर ??
तकबरीबन पिछले एक महीने से बरौदा उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों का दंगल चल रहा था, ब्यान बाजियों का दौर गर्म था, सत्ता पक्ष के तमाम मंत्री गठबंधन के उपमुख्यमंत्री, गठबंधन पार्टी जजपा के पदाधिकारी व विपक्षी पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर थीं। जहां खट्टर योगेश्वर दत्त की जीत को पार्टी की प्रतिष्ठा मान रहे हैं वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी जिन्होंने कपूर नरवाल को टिकट ना मिलने पर इंदु राज भालू को अड़कर टिकट दिलवाई और बड़े-छोटे हुड्डा को छोड़कर सारी कांग्रेस जानती है चाहे उसमें किरण चौधरी हो या रणदीप सुर्जेवाला, कुलदीप बिशौई हों या कैप्टन अजय सिंह यादव या फिर मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा हों सभी को पता है भाजपा जीती तो नम्बर खट्टर व दुष्यंत के हैं और अगर कांग्रेस जीती तो सिर्फ नम्बर बड़े और छोटे हुड्डा के हैं और यह बात सत्य भी है यही कारण है छोटे व बड़े हुड्डा साहब बरौदा में ही डेरा जमाए हुए हैं।
प्रचार थम चुका है और लोग वोटर सोच रहे हैं कि किस को वोट दी जाए, किसको वोट देकर फायदा है, कौन चौधर की लड़ाई लड़ रहा है, कौन विकास की लड़ाई लड़ रहा है, कौन नाक की लड़ाई लड़ रहा है, कौन इलाके के नाम की लड़ाई लड़ रहा है। हालांकि भाजपा उम्मीदवार योगेश्वर दत्त का विश्व में नाम है लेकिन कांग्रेस के इंदु राज का नाम तो शायद उनके गांव तक सीमित है जबकि इनैलो के जोगिंद्र मलिक का नाम भी इलाके में अच्छा है भाजपा ने 2019 के जनरल विधानसभा चुनाव में योगेश्वर दत्त को टिकट दिया था फिर उन पर विश्वास जताकर इलाके का सम्मान बढ़ाया और निश्चित तौर योगेश्वर दत्त को टिकट मिलने से बरौदा विधानसभा में अच्छा संदेश गया। और कहीं ना कहीं योगेश्वर को टिकट मिलने से जाट नोन जाट का नारा भी खत्म हो जाता है क्योंकि जब योगेश्वर ओलोम्पिक में जीता था तो लोगों ने कहा था हरियाणा का बेटा जीता है, सोनीपत का लाल जीता है, उस वक्त यह नहीं कहा था पंडित जी जीते हैं, हरियाणा के पंडित जी जीते हैं, सोनीपत जिला के पंडित जी जीते हैं, बल्कि यह संदेश गया कि ओलोम्पिक में हरियाणा के लाल ने तिरंगे का नाम रोशन किया। और अभी भाजपा सरकार के चार साल पड़े हैं और चार साल का समय बहुत होता है पुरानी कहावत है कि गोद वाला देखूं पेट वाला देखूं। इलाके को पता है कि चार साल में बच्चों को नौकरी मिलेगी, रोजगार मिलेंगे, विकास होगा योगेश्वर के जीतने से बरौदा का नाम देश दूनियां में होगा। देखते हैं कौन होगा मुकद्दर का सिकंदर। ऐसे भी इतिहास हैं लोगों ने उपचुनाव में सरकार को हराया।