बुलेट प्रूफ दरवाजे के अंदर आज भी रखी हैं भगवान बुध की अस्थियां I

भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में थाई मोनेस्ट्री की तरफ से स्थापित थाई मंदिर के चैत्य में भगवान बुद्ध की अस्थियां बुलेट प्रूफ दरवाजे के भीतर सुरक्षित हैं। यह अस्थियां वर्ष 1898 में कपिलवस्तु के पास पिपरहवा स्थान पर हुई खुदाई के दौरान मिली थीं

इसकी जानकारी तत्कालीन थाईलैंड के राजा रामा पंचम को हुई, तो उन्होंने अंग्रेज गवर्नर से आग्रह कर भगवान बुद्ध के अस्थि कलश को थाईलैंड मंगवा लिया था। बाद में जब कुशीनगर में थाई मंदिर का निर्माण हुआ तो इस अस्थि कलश को मंदिर परिसर में बने चैत्य में स्थापित कराया गया।

कुशीनगर में श्रीलंका, चीन, थाईलैंड समेत कई बुद्धिस्ट देशों की तरफ से बौद्ध मंदिरों का निर्माण कराया गया है। मंदिर मार्ग पर थाईलैंड सरकार की तरफ से बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों को पूजा अर्चना के लिए एक मंदिर का निर्माण वर्ष 1994  में कराया गया था। मंदिर के अंदर एक आकर्षक चैत्य भी बना है।

चैत्य निर्माण का शिलान्यास वर्ष 2001 में थाई राजकुमारी ने किया था। पांच वर्ष बाद जब 2005 में बनकर तैयार हुआ तो उसका उद्घाटन भी थाई राजकुमारी ने ही किया था। इस चैत्य के अंदर भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि रखी गई है। चैत्य में अस्थि कलश की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ दरवाजा लगाया गया है। मंदिर सुबह छह बजे से सात बजे तक और शाम को सात बजे से आठ बजे तक बौद्ध भिक्षुओं के लिए खुला रहता है।

 

आठ राजाओं में हुआ था अस्थि कलशों का वितरण

भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनकी अस्थियों को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। बाद में अस्थियों का विभाजन उस वक्त भगवान  बुद्ध के आठ बड़े अनुयायी राज परिवारों में विभाजित किया गया था, जिसे उन राजाओं ने चैत्य (एक विशेष प्रकार की संरचना) का निर्माण कराकर उन्हीं में अस्थियों को सुरक्षित रखा था।

बताया जाता है कि इन अस्थियों को कुशीनारा (कुशीनगर) के मल्ल राजा, पावानगर के मल्ल, बेतद्वीप के ब्राह्मण, मगध राज परिवार, वैशाली के लछिवी, कपलिवस्तु के शाक्य, अलकप्प के बुली और रामग्राम के कोलीय राजाओं में वितरित किया गया था।
 

 

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