आढती आत्महत्या मामला : हैफेड के डीएम को सस्पेंड करने की बजाय सरकार ने क्यों किया ट्रांसफर ?

आढती आत्महत्या मामला : हैफेड के डीएम को सस्पेंड करने की बजाय सरकार ने क्यों किया ट्रांसफर ?

आढती मदन लाल द्वारा सुसाइड के बाद विलाप करता हुआ उनका बेटा

 


वीरेश शांडिल्य की कलम से खरी खरी 

सम्पादकीय : बीते रविवार को आढती मदन लाल जिंदल ने आत्महत्या कर ली और आरोप हैफेड के डीएम पर लगाये की उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था इसलिए वह अपनी जीवन लीला खत्म कर रहा हैं लेकिन सरकार ने डीएम हैफेड को अम्बाला से ट्रांसफर कर पानीपत भेज दिया l यह सरकार का कैसा इंसाफ हैं ? क्या यहीं इन्साफ के मापदंड हैं ? क्या यही एक सरकार का जस्टिस देने का तरीका हैं ? कोई व्यक्ति किसी अधिकारी की प्रताड़ना के कारण अपनी जीवन लीला खत्म कर लें और सरकार उसको तुरंत ट्रांसफर कर अपना पल्ला झाड लें l यह समझ से बाहर हैं कि इस तरह की पिक एंड चूज की पॉलिसी सरकार क्यों अपनाती हैं l आत्महत्या करना कोई आसान बात नहीं l सोचने मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं सरकार व अम्बाला पुलिस को चाहिए था कि डीएम के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार करते और अदालत में चालान देते l अदालत फैंसला करती l

आत्महत्या करने वाले आढती मंदन लाल जिंदल के आरोप ठीक हैं या गलत l सिर्फ हैफेड के डीएम विकास देसवाल पर एक आढती को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए मजबूर करने पर सिर्फ ट्रांसफर कर व्यापारियों की आँखों में धुल झोंकने का काम किया l पहले ही किसान,मजदूर,व्यापारी,आढती सरकार की जन विरोधी नीतियों से परेशान हैं और ऐसे में सरकार अपने ही अधिकारीयों को सरक्षण दे रही हैं l अब तो अम्बाला शहर के विधायक असीम गोयल ने यह साबित कर दिया कि उन्ही की भाजपा सरकार में अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं l बेचारे मदन लाल जिंदल की क्या सुनवाई होगी जब सत्ता पक्ष के विधायक की सुनवाई नहीं हो रही हैं l उन्हें अपनी बात मनवाने के लिए धरने पर बैठना पड़ा l खट्टर सरकार को चिन्तन करना होगा और समय रहते सरकार को अधिकारीयों पर लगाम कसनी चाहिए और जो अधिकारी जनता को पाँव की धूल समझ रहे है उन अधिकारीयों को वीआरएस देकर घर बैठा देना चाहिए l अन्यथा आने वाले दिनों में भाजपा की जड़े खोदने में अधिकारीयों की अहम भूमिका होगी और विधायक असीम गोयल तुरंत मदन लाल आत्महत्या मामले में डीएम हैफेड विकास देसवाल की गिरफ्तार करवाकर मदन लाल जिंदल के परिजनों को राहत दें और इससे यह भी सन्देश जाएगा कि वाकई ही असीम गोयल के दिल में किसान-मजदूरों आढतियों,व्यपारियों के प्रति दर्द हैं

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