सम्पादकीय: मुख्यमंत्री खट्टर असीम गोयल के कदम को हलके में न आंकें 

समय रहते हुए हरियाणा के सीएम को उनकी बात सुनकर तुरंत उसपर समाधान करना चाहिए क्योंकि हाथ की पांचो उंगलियाँ भगवान ने एक जैसी नहीं बनाई l अगर मुख्यमंत्री असीम गोयल को हल्के में आंकेंगे तो इसका आने वाले समय में भाजपा व सरकार को नुक्सान हो सकता हैं l 
बुधवार को अपनी ही सरकार के खिलाफ किसानों व मजदूरों के हक में हरियाणा विधानसभा के बाहर धरने पर बैठकर मोर्चा खोलने वाले अम्बाला शहर के दूसरी बार विधायक असीम गोयल ने वह कार्य कर दिया किस भी सत्ता पक्ष के विधायक ने नहीं किया l भले ही विपक्षी पार्टियाँ असीम गोयल के इस धरने को जिसमे उन्होंने अपनी ही सरकार में नियुक्त खाद्य आपूर्ति विभाग के एफसीआर पीके दास को कहा होश में आओ को राजनितिक स्टंट बता रहीं हैं l लेकिन क्रिया के उपर प्रतिक्रिया स्वाभाविक हैं l अब तो कलयुग चल रहा हैं l सतयुग में भी लोगो ने माता सीता की अग्निपरीक्षा करवा दी थी l इसलिए लिखने वाले ने दशको पहले गीत लिख डाला था “कुछ तो लोगों को काम है कहना, छोडो बेकार की बाते कहीं बीत न जाए रैना” इसलिए असीम गोयल के धरने को राजनितिक स्टंट बताने वाले अगर एक अंगुली असीम गोयल की तरफ कर रहे तो बाकि बची उंगलियाँ बोलने वालों की तरफ हैं l विपक्षी नेताओं को भी तो असीम गोयल के इस कदम को बड़ा मानते हुए ही उनकी क्रिया पर प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर होना पड़ा l
इसलिए अगर की विधायक सत्ता पक्ष का हैं तो ऐसा नहीं की वह गलत को गलत नहीं कह सकता l हर आदमी की अपनी हिम्मत हैं l हर आदमी का अपना हौंसला हैं l अम्बाला जिला वह जिला हैं जहाँ से आजादी की लड़ाई की क्रांति की नीवं रखी गई l अम्बाला जिला से ही अनिल विज हैं जो वर्तमान में गृहमंत्री हैं जो एडीजीपी सीआईडी जो सरकार की आँख,कान होता हैं उसके खिलाफ ही कारवाई के आदेश दे दिए थे l अम्बाला से संबंध रखने वाले अनिल विज जिन्होंने बतौर गृहमंत्री वह काम कर दिए जो शायद किसी राज्य के गृहमंत्री ने न किये हो और यहीं नहीं हाल ही में हरियाणा पुलिस मुख्यालय में जाकर उस एडीजीपी से तमाम विभाग वापिस ले लिए क्योंकि उस एडीजीपी ने अपने ही गृहमंत्री को खाई-पी रोटी समझ लिया शायद ऐसी ही गलती असीम गोयल के प्रति पीके दास ने की हों और असीम गोयल को लगा हो कि उनके स्वाभिमान को ललकारा गया इसीलिए अपनी ही सरकार के अधिकारी के खिलाफ धरना दे दिया और बात यहीं खत्म नहीं हुई एक समय निर्धारित कर दिया कि यदि इस समय तक किसानों-मजदूरों की बात न सुनी तो बड़ा मोर्चा खोलेंगे l मतलब वह फैंसला आर-पार का ले चुके हैं l समय रहते हुए हरियाणा के सीएम को उनकी बात सुनकर तुरंत उसपर समाधान करना चाहिए क्योंकि हाथ की पांचो उंगलियाँ भगवान ने एक जैसी नहीं बनाई l अगर मुख्यमंत्री असीम गोयल को हल्के में आंकेंगे तो इसका आने वाले समय में भाजपा व सरकार को नुक्सान हो सकता हैं l 
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