असीम गोयल के इस कदम में देरी हुई , खैर देर आये दुरुस्त आये !
वीरेश शांडिल्य की कलम से खरी-खरी
ज्योतिकण (सम्पादकीय) असीम गोयल अम्बाला शहर के दूसरी बार विधायक बने l पहली बार विधायक बनना आसान हैं लेकिन दूसरी बार विधायक वहीँ व्यक्ति बन सकता हैं जो जनता के हितों पर खरा उतरा हो l तीन अध्यादेश को लेकर काफी समय से किसान सडकों पर हैं और सबसे बड़ी बात यह हैं कि किसान कोरोना महामारी की परवाह किए बिना सडक पर आ गये इसका मतलब यह है कि किसान अध्यादेश को कोरोना से भी खतरनाक मान रहा हैं l किसानों का आन्दोलन आज पूरे देश में हैं व असीम गोयल ने एक दिन भी किसानों की जाकर बात नहीं सुनी और जब किसान उनके घर के बाहर आये वह मौका भी विधायक चूक गये और उनसे नहीं मिले l वैसे किसान आक्रमक था गुस्से में था ऐसे में असीम गोयल ने बुद्धिमता दिखाते हुए किसानों का अपने निवास के बाहर पूरा सम्मान किया l जलपान का इंतजाम किया उनको छोड़कर उनकी पूरी टीम उनके घर के बाहर धरने पर बैठे किसानों की सेवा में जुटी रहीं और किसान विधायक व सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे लेकिन असीम गोयल ने धैर्य का परिचय दिया l बुजुर्गों की पुरानी कहावत हैं एक चुप सो सुख , भला बेचारा असीम गोयल अपने प्रधानमंत्री के खिलाफ अकेला क्या कर सकता है l
क्या पता उसके दिल में भी किसानों की तकलीफ उनसे ज्यादा हो लेकिन कई बार मजबूरी वश वह प्रकट नहीं की जा सकती l लेकिन उस वक्त असीम गोयल का मन निश्चित तौर पर दुखी हुआ होगा जब उनके गृह गाँव में उनकी फोटो पर किसानों द्वारा कालिख पोथ दी गई हो और उसके बाद उन्होंने इतना बाड़ा फैंसला लिया और विधानसभा के बाहर किसानों व मजदूरों के पक्ष में सांकेतिक धरने पर आईएएस पीके दास जो खाद्य विभाग के एफसीआर हैं उनके खिलाफ बैठ गए और उन पर हमला बोल दिया और इस धरने पर अहम् बात यह है कि उन्होंने अपना फायदा-नुक्सान कुछ नहीं देखा और न उन्होंने यह देखा कि वह सत्ता में हैं और वह पांच लाख लोगों के प्रतिनिधि बनकर धरने पर बैठ गए l नीति अहिंसावादी थी लेकिन धरना देने से पहले वह एक बार अपनी ही भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को खाद्य विभाग के एफसीआर के खिलाफ कार्यवाही का अनुरोध करते तो निश्चित तौर पर ज्यादा बेहतर होता l चलो ! जो बीत गई सो बात गई लेकिन असीम गोयल ने भले ही देरी से किसानों के पक्ष में बात कहीं लेकिन वह विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे जहाँ आन्दोलनकारी किसान नहीं पहुँच सकता l निश्चित तौर पर सत्ता पक्ष के विधायक असीम गोयल का यह उठाया कदम व आवाज प्रधानमंत्री मोदी तक जायेगी l किसान असीम के इस कदम पर उनका मनोबल न गिराए उन्हें हौंसला दें l