Batla House Encounter मामले में दोषी करार दिए गए आतंकी आरिज खान को ट्रायल कोर्ट से मिली मौत की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने आज गुरुवार को आजीवन कारावास में बदल दिया है। पांच सिलसिलेवार बम विस्फोट में 39 लोग मारे गए थे जबकि 159 घायल हुए थे। इसके कुछ दिन बाद हुए बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2008 में हुए सनसनीखेज बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में दोषी करार दिए गए आतंकी आरिज खान को दी गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। इस एनकाउंटर में आतंकियों की गोली से दिल्ली पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे।
मोहन चंद शर्मा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे। शर्मा 19 सितंबर, 2008 को दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में पुलिस और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हुए थे।
इसके बाद से उनकी याद में उनके मूल गांव तिमिलखाल (उत्तराखंड) में शहीद दिवस मनाया जाता है। लेकिन मोहन चंद्र का जन्म राजधानी दिल्ली में हुआ और उनकी पढ़ाई-लिखाई भी यही हुई। हालांकि उन्हें अपने मूल गांव से बेहद लगाव था।
सात बार मिला राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार
जानकारी के मुताबिक, शर्मा को वर्ष 1989 में दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति मिली थी। शहीद मोहन चंद्र शर्मा को 20 साल की पुलिस सेवा में सात बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं, उत्कृष्ट कार्य शैली के लिए लगभग 150 पुरस्कार भी मिले थे।
इससे पहले 18 अगस्त को दिल्ली पुलिस और दोषी के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और अमित शर्मा की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने आज बृहस्पतिवार को आरिज खान को पुलिस अधिकारी की हत्या का दोषी ठहराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
सिलसिलेवार बम विस्फोट में मारे गए थे 39 लोग
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में हुए पांच सिलसिलेवार बम विस्फोटों के कुछ दिन बाद बाटला हाउस में दिल्ली पुलिस की आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी और इस एनकाउंटर में मोहन चंद शर्मा (19 सितंबर 2008) मारे गए थे। वहीं, बिस्फोट में 39 लोग मारे गए थे, जबकि 159 घायल हुए थे। मुठभेड़ में दो आतंकी भी मारे गए थे।
निचली अदालत ने दी थी फांसी की सजा
बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने 8 मार्च, 2021 को आतंकी आरिज खान को दोषी ठहराया और कहा कि यह पूरी तरह से साबित हुआ है कि उसने और उसके सहयोगियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की और पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाईं।
कोर्ट ने कहा था ऐसे अपराध के लिए अधिकतम सजा का प्रावधान है और आरिज खान को फांसी की सजा दी जाएगी। इसके बाद 15 मार्च, 2021 को कोर्ट ने आरिज खान को मृत्युदंड की सजा सुनाई और उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा।