सरकार ने अम्बाला में किंग फिशर को आज तक जीटी रोड़ का लेवल क्यों नहीं दिया ?

सरकार ने किंग फिशर को आज तक जीटी रोड़ का लेवल क्यों नहीं दिया?
सम्पादकीय की कलम से खरी-खरी
नैशनल हाईवे-1 अमृतसर-दिल्ली रोड़ पर हरियाणा सरकार का दशकों पुराना एतिहासिक कई एकड़ों में बना किंग फिशर पर्यटन स्थल है। किंग फिशर वो पर्यटन स्थल है जिसके नाम पर अम्बाला शहर की पहचान है। जितने भी मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, वीवीआईपी, ब्यूरो क्रेट्स सीधे हरियाणा सरकार के सरकारी टूरिज्म में रुकते थे। किंग फिशर के कमरे फाईव स्टार से कम नहीं है और बड़े बड़े वीआईवपी किंग फिशर में आकर रुकते थे और बड़े बड़े उद्योगपति, बड़े बड़े लोग अगर अमृतसर से चलते थे तो वह किंग फिशर में रुकते थे। जिस तरह किंग फिशर का नाम था उसी तरह किंग फिशर के नजदीक ओबराय पैट्रोल पंप का नाम है। ओबराय पैट्रोल पंप की पहचान भी किंग फिशर के नाम से ही आज भी जानी जाती है। आज भी बड़े बड़े वीआईपी किंग फिशर में आते हैं। कुछ दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा किंग फिशर में आए जहां उनका स्वागत गृह मंत्री अनिल विज सहित भाजपा के दिग्गजों ने किया।
इस किंग फिशर का उद्घाटन जनवरी 1987 में पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसी लाल ने किया था और किंग फिशर तकारीबन 8 एकड़ में फैला हुआ है। लेकिन बड़ी बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार 2014 में बनी किंग फिशर के आसपास  तो एकड़ों में अवैध निर्माण हो गए और जो अवैध निर्माण हुए आए दिन मीड़िया की सुर्खीयों में रहते हैं। 2014 के बाद कई नगर निगम के अधिकारियों ने, कई अम्बाला के  जिला योजनाकार अधिकारियों ने  यही नहीं  लॉकल बॉडी विभाग के निम्न अधिकारियों से लेकर एफसीआर रैंक के अधिकारियों ने किंग फिशर के आसपास भव्य अवैध ईमारतें खड़ी करवा दी लेकिन कभी हरियाणा सरकार व अम्बाला की पहचान रहे किंग फिशर की तरफ किसी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं। क्या हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस बात का कोई संतोषजनक जवाब दे सकते हैं कि क्या अपने ही सरकारी टूरिज्म के मुकाबले एक बिल्ंिडग जीटी रोड़ लेवल पर खड़ी कर दी जाती है जिसके कई लफड़े झगड़े आज भी चल रहे हैं लेकिन किसी सरकारी अधिकारी ने कभी भी किंग फिशर को जीटी रोड़ लेवल पर करने की पहल की ना 8 एकड़ में बने किंग फिशर को रेनोवेट करने प्रयास किया ना यहां शॉपिंग कम्पलैक्स बनाया गया जबकि आसपास मोटी रकमे लेकर दुनिया जहांन के निर्माण कर दिए। तो क्या मुख्यमंत्री इन अधिकारियों से पूछेंगे कि किंग फिशर को रैनोवेट क्यों नहीं किया। क्या किंग फिशर परिसर में पैट्रोल पम्प नहीं लग सकता था? क्या किंग फिशर की जमीन पर शॉपिंग काम्पलैक्स नहीं बन सकता था? क्या किंग फिशर की ईमारत को भव्य ईमारत नहीं बनाया जा सकता था? क्या किंग फिशर में बरांडिड शौरुम  नहीं आ सकते थे? क्या किंग फिशर में बरांडिड होटल नहीं आ सकता था? यदि मुख्यमंत्री इस बात की हाईकोर्ट के जज से जांच करवाए तो किंग फिशर को मिट्टी में मिलाने में नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों ने करोड़ों का लेन देन किया है तभी किंग फिशर आज भी खंडर है  और सरकारी टूरिज्म  के आसपास भव्य बिल्ंिडगे बन गई। यह मामला उच्च स्तरीय जांच का विषय है और यह बात स्पष्ट झलक रही है कि बाड़ ही खेत को खा रही है।
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