विनोद शर्मा निगम चुनावों में उतार सकते हैं अपनी पुत्रवधु को !
पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा व हिम्मत सिंह मिला सकते हैं हाथ !
अम्बाला (ज्योतिकण न्यूज) : पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने अम्बाला शहर निगम चुनावों में अपने समर्थकों को उतारने का ऐलान कर दिया है। उसी के साथ पुख्ता जानकारी के मुताबिक विनोद शर्मा अम्बाला शहर के मेयर चुनावों में अपनी पुत्रवधु को मैदान में उतार सकते हैं! मेयर के चुनाव के लिए सीधा मतदान होना है राजनीतिक पंडित व विनोद शर्मा के अति करीबी सदस्य इस बात का दावा कर रहे हैं कि विनोद शर्मा मेयर चुनावों में अपनी पुत्रवधु को मैदान में उतारेंगे। ऐसा कर विनोद शर्मा अपनी उस गलती को ठीक करेंगे जो गलती उन्होंने 2019 में विधानसभा चुनाव ना लड़कर की। जानकारी के मुताबिक विनोद शर्मा अपने बड़े बेटे मन्नु शर्मा की धर्मपत्नी को मेयर पद के लिए मैदान में उतार सकते हैं। इस बात में कितना दम है यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन अपने आप को राजनीतिक चाणक्य होने का दावा करने वाले विनोद शर्मा यदि अपने समर्थकों को निगम चुनाव लड़वा रहे हैं तो उनके पीछे उनकी गहरी रणनीति है और मेयर का प्रत्याशी अपनी पुत्रवधु को उतारकर विनोद शर्मा एक तीर से कई निशाने करने की फिराक में है। हालांकि अब विनोद शर्मा की राजनीतिक पकड़ अम्बाला शहर में 2005 से 2014 तक जैसी नहीं है लेकिन राजनीति में कब बाजी किसके हाथ में आ जाए कौन मुकद्दर का सिकंदर बन जाए किसको पता। जो दुष्यंत भाजपा व मोदी व खट्टर को कोस कोस कर जजपा के एमएलए बनाकर लाए उसी जजपा की बैसाखी पर भाजपा की सरकार बनी और दुष्यंत डिप्टी सीएम बने। कभी दुष्यंत ने सोचा भी नहीं होगा। इसी तरह विनोद शर्मा एक रणनीति के तहत निगम चुनावों में उतरे हैं। लेकिन विनोद शर्मा ऐसे समय में मैदान में उतरे हैं जब अम्बाला शहर से दूसरी बार विधायक असीम गोयल का पलड़ा भारी है और अम्बाला शहर की जनता को यह पता है कि भाजपा सरकार के चार वर्ष पड़े हैं।
राजनीति में नहीं होती स्थाई दुश्मनी!
विनोद शर्मा राजनीति के चाणक्य हैं और प्लानिंग के तहत ही निगम चुनावों में उतरे हैं और पिछल्ले लम्बे समय से हिम्मत सिंह भी निर्मल सिंह के हरियाण डैमोक्रेटिक फ्रंट से दूरी बनाए हुए हैं ऐसे में मिली जानकारी के मुताबिक विनोद शर्मा हिम्मत सिंह से हाथ मिला सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विनोद शर्मा व हिम्मत सिंह की गुप्त मीटिंग भी हुई है क्योंकि राजनीति में कोई स्थाई दुशमन नहीं होता। इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि हिम्मत सिंह राजनीतिक मंच बना सकते हैं। देखते हैं जो हिम्मत सिंह व विनोद शर्मा में आपसी बातचीत चल रही है उसके नतीजे क्या होंगे। फिल्हाल यह बात तय है कि असीम गोयल की ताकत ने विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया।