जस्टिस का नाम अनिल विज || सम्पादकीय || वीरेश शांडिल्य की कलम से || JYOTIKAN

जस्टिस का नाम अनिल विज…

सम्पादकीय :

वीरेश शांडिल्य की कलम से :-

चाहे सरदार पटेल हों, चाहे अमित शाह हों, चाहे अनिल विज हों इन तीनों की सोच राष्टÑ को समर्पित हैं, देश की एकता और अखडंता को समर्पित हैं। इन तीनों को जिस कोख ने जन्म दिया वह पूजा के योग्य हैं उस कोख को शत् शत् प्रणाम। आज के युग में ऐसी कोखों की जरूरत हैं जो इस तरह के सपूतों को जन्म दे जो सोचते ही देश के लिए हैं। जिनका मकसद ही शांति है, जिनका मकसद ही देश में राम राज लाना है जिनका मकसद ही दहशत खत्म करना है जो पैदा ही जान हथेली पर रखकर आए जिनके जीवन का सार ही कौरवों और राक्षसों का नाश करना है, जिनके जीवन का उद्देश्य ही देश से कंसों को खत्म करना है। आज हम हरियाणा पर विशेष चर्चा करते हुए गृह मंत्री अनिल विज को लेकर चर्चा करेंगे। अनिल विज को आज गृह मंत्री बने 11 महीने हो गए। लेकिन जो काम बतौर गृह मंत्री 1966 में हरियाणा बनने के बाद अनिल विज ने किया ऐसा काम शायद कोई दूसरा गृह मंत्री ना कर पाए, ना करने की सोच पाए। अनिल विज जैसे महापुरुष सदियों में जन्म लेते हैं और जब वह जन्म लेते हैं अंधकार, भय, डर नाम की चीजें खत्म हो जाती हैं ऐसा कुछ अनिल विज ने 11 महीने में बतौर गृह मंत्री करके भी दिखाया आज हरियाणा पुलिस का चेहरा बदल चुका है, सोच बदल चुकी है हरियाणा पुलिस का सेवा, सुरक्षा, सहयोग का नारा अब जमीनी स्तर पर लागू हो चुका है अब लोग इस नारे पर विश्वास करने लगे हैं अब पुलिस का सम्मान होने लगा है, अब पुलिस को झूठे केस दर्ज करने वाली, झूठी जांच करने वाली, लोगों को झूठा केस दर्ज कर जेल में डालने वाली पुलिस का अंत हो चुका है अब अनिल विज के नेतृत्व में एक नए युग की शुरूआत हुई है जहां अब पुलिस को लोग अपना रक्षक मानने लगे हैं, अगर कहीं पुलिस खड़ी है तो यह मानते हैं कि अब भय भाग जाएगा। क्राईम नाम की चीज खत्म हो जाएगी, अपराध व अपराधी अब हरियाणा में अनिल विज के नाम से डरने लगे और जबसे अनिल विज हरियाणा के गृह मंत्री बने है तबसे वह एक जस्टिस के रूप में देखे जाने लगे हैं।

अनिल विज एक जस्टिस का नाम हो गया है। अब एक सिपाही से लेकर डीजीपी तक यह मानने लगा है कि अब हम जवाबदेह हैं समाज के प्रति। पहले तो पुलिस की छवि ऐसी थी कि यदि कोई थाने में शिकायत लेकर जाता है तो पीड़ित को ही कह दिया जाता है कि कागजों का रिम देकर जा, कोई सेवा पानी कर, चौकी थाने में कुर्सियां नहीं है कुर्सियां देकर जा। लेकिन अनिल विज के बनने के बाद सारा सनैरियो बदल गया, पुलिस की छवि बदल गई, लोगों की सुनवाई अब अनिल विज के नेतृत्व में टैलीफोन पर होने लगी। यही कारण है कि आज पुलिस का विश्वास अनिल विज के नेतृत्व में आम आदमी में बढ़ा है। अब पैसे वाला आदमी यह कहना बंद कर चुका है कि फलां थाने का एसएचओ, फलां शहर का डीएसपी, फलां जिले का एसपी मेरी जेब में है, अब तो जो क्राईम करेगा उसका सीधा रास्ता अनिल विज के राज में जेल की ओर जाता है यही कारण है कि अब हरियाणा में भय, भ्रष्टाचार, नशा, तस्करी में भारी कमी आई है।

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