पैसे की आड़ में समाज में अहंकारी बन चुके लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए सिकंदर ने कहा था मेरे दोनों हाथ कफन से बाहर निकाल देना
वीरेश शांडिल्य
रुपए, धन, पैसे की आड़ में समाज में कुछ लोग पैसे के प्रभाव के चलते अहंकारी बन चुके है और पैसे के दम पर किसी को भी खरीद लें, किसी को भी मसल देने की ढींगे हांकते देखने को मिल रहे हैं। लेकिन वो बहुत बड़ी गलत फहमी के शिकार हैं। वह यह भूल गए कि सिकंदर सबसे अमीर शासक था उसने भी मरने से पहले इच्छा जताई थी कि मेरे दोनों हाथ कफन से बाहर निकाल देना ताकि लोगों में संदेश जाए कि इतना पैसा होने के बाद भी सिकंदर खाली हाथ गया था। पैसे के अहंकार में यह कहना फलां आदमी मेरी जेब में है फलां अधिकारी मेरी जेब में है उसकी क्या औकात है उसकी तो सवेरे बोली लगा देंगे, उसकी क्या औकात है वह तो लाख, दो लाख, पांच लाख, दस लाख, बीस लाख, पचास लाख की मार है और फिर भी ना माना तो पता भी नहीं चल पाएगा कि कहां गया। ऐसे अहंकारी आदमी यह भी नहीं समझ पा रहे कि भगवान ने धरती पर आकर ऐसे लोगों के खिलाफ कोरोना महामारी रुपी प्रचंड किया और उनको संदेश दिया कि सुधर जाओ। कोई जितना मर्जी धनवान क्यों ना हो जाए वो धनवान चाहे अम्बाला का है या मुम्बई का अम्बानी, अड़ानी सोने की रोटी कोई नहीं खाता, सोने के बिस्तर पर कोई नहीं सोता और पैसे की आड़ में हर आदमी को धमकाने, डराने, खरीदने का शौंक पालने वाले राजा हरीश चंद्र का इतिहास पढ़ें जिससे समय ने डोंम का काम करवा दिया था। शनि चालिसा में यह लाईन आती है ‘हरीश चंद्र से ज्ञानी राजा छीन लिया तुमने राज समाजा, डोम चाकरी टहल कराई दारुण विपदा पर विपद चढ़ाई, गुुरु सम सबकी करो ताड़ना बहुत दिन हूँ नाथ उबारना’
ऐसे अहंकारियों को अहंकार त्याग देना चाहिए और यह नहीं भूलना चाहिए कि पैसा अच्छे से अच्छा बिस्तरा खरीद सकता है पर नींद नहीं, अच्छे से अच्छा व्यंजन खरीद सकता है पर भूख नहीं, मौत पर विजय पैसा नहीं पा सकता। यही नहीं हमे भगवान का शुक्राना करना चाहिए कि उसने हमे तंदरुस्ती दी, समाज में सम्मान दिया, दो समय की अच्छी इज्जत की रोटी दी, काम काज को भाग लगा दिए। लेकिन लोग इन चीजों को भूल चुके हैं अहंकार, घमंड आज पैसे आने के बाद लोगों में ज्यादा आ गया है। ऐसे लोगों को चिंतन करना होगा और पैसे के अहंकार के कारण किसी को नीचा दिखाने का प्रयास हमे नहीं करना चाहिए किसी का दुष्प्रचार करने के लिए पैसे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही पैसे के दम पर किसी की जीवन लीला खत्म करने या नुक्सान करने की नहीं सोचनी चाहिए क्योंकि जो बीजोगे वो काटोगे। बोया पेड़ बबुल का आम कहां से हों। समय बलवान है और यही कारण है कि समय ने हरीश चंद्र से डोम का काम करवाया और शनि नीच का आता है तो अर्श से फर्श पर बिठा देता है इसलिए इन लाईनो को हमेशा दिन दिमाग आत्मा में रखकर कोई काम करना चाहिए ‘चंगे चाहे माड़े तू हालात विच रखीं, मैनु मेरे मालका औकात विच रखीं’।