धोखाधड़ी से पद हासिल करने वालों से अदालत को हमदर्दी नहीं, बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका खारिज

याचिका दाखिल करते हुए संदीप कुमार ने बताया कि यमुनानगर में उसकी जमीन का अधिग्रहण थर्मल प्लांट के लिए किया गया था। इसके चलते उसे ओस्टी कोटा में सरकारी नौकरी का ऑफर मिला था। याची ने अपने सभी दस्तावेजों के साथ सिक्किम की ईआईआईएलएम यूनिवर्सिटी से मिली बीकॉम की डिग्री भी लगाई थी।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ओस्टी कोटा से लोअर डिवीजन क्लर्क(एलडीसी) भर्ती हुए व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि धोखाधड़ी से पद हासिल करने वाला समानता के अधिकार का हवाला देते हुए अदालतों से रहम की उम्मीद न रखे। फर्जीवाड़े से नौकरी हासिल करने वालों के लिए अदालतों के पास करुणा का कोई स्थान नहीं है। 

ईआईआईएलएम यूनिवर्सिटी से प्राप्त याची की डिग्री फर्जी साबित हुई थी। इस मामले में याची ने ईआईआईएलएम यूनिवर्सिटी से बीकॉम 2012 में दिखाई है जबकि उस समय यह पाठ्यक्रम यूनिवर्सिटी में था ही नहीं। जिसके आधार पर हरियाणा सरकार ने याची की सेवा समाप्त कर दी थी।
याचिका दाखिल करते हुए संदीप कुमार ने बताया कि यमुनानगर में उसकी जमीन का अधिग्रहण थर्मल प्लांट के लिए किया गया था। इसके चलते उसे ओस्टी कोटा में सरकारी नौकरी का ऑफर मिला था। याची ने अपने सभी दस्तावेजों के साथ सिक्किम की ईआईआईएलएम यूनिवर्सिटी से मिली बीकॉम की डिग्री भी लगाई थी। इसके आधार पर उसे 2015 में एलडीसी पद पर नियुक्ति दी गई थी। जनवरी 2021 में यह डिग्री फर्जी मिलने पर सरकार ने याची को कारण बताओ नोटिस जारी किया और मार्च में उसकी सेवा समाप्त कर दी।

याची ने विभिन्न हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए अपने लिए राहत की मांग की थी। साथ ही कहा कि वह अपना प्रोबेशन पूरा कर चुका है और ऐसे में 6 साल बाद हुई वेरिफिकेशन के आधार पर उसकी सेवा को समाप्त नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि झूठे प्रमाणपत्र के आधार पर या धोखाधड़ी करके नियुक्ति पाने वाले व्यक्ति के मामले में इक्विटी का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसे व्यक्ति के बचाव में सहानुभूति का विचार भी नहीं आ सकता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया।

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