भजन लाल आज ही बने थे पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री,सर्वाधिक समय तक रहें CM

मानव रत्न चौ.भजनलाल जी पहली बार आज ही के दिन बने थे मुख्यमंत्री

 

बर्फ का हिमनद इरादे छोड़कर पिघलता रहा।
आंधियां चलती रही, लेकिन दीपक जलता रहा

चंडीगढ़ : (ज्योतिकण ब्यूरो) हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे चौ. भजन लाल सबसे पहले आज ही के दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए थे l  बता दें सबसे पहले 28 जून, 1979 को वे पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तथा दूसरी बार 23 मई, 1982 से लेकर 5 जून, 1986 तक उन्होंनेहरियाणाकी बागडौर संभाली। तीसरी बार 24 जून, 1991 से लेकर 8 मई, 1996 तक वे मुख्यमंत्री रहे। 2005 को हुए हरियाणाविधानसभाचुनाव में चौ. भजनलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 86,963 मतों से जीत हासिल करके नया कीर्तिमान स्थापित किया। करनाल और फरीदाबाद लोकसभा से भीसांसद रहे। 1970 में जब चौ. भजनलाल कृषि मंत्री बने थे

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले मानव रत्न पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल को इस कोटि मेंहमेशापरिगणित माना गया। उनके विलक्षण व्यक्तित्व, लंबे-चौड़े राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन पर अगर प्रकाश डालना शुरू करें तोकईकिताबें भर जायेगी कोड़ावाली ग्राम से गुरू जांभो जी के भक्त रेहड़ाराम की 16वीं पीढ़ी में 445 वर्ष बाद खैराज जी के घर 6 अक्तूबर, 1930 विक्रमी सम्वत् 1987 को भजनलाल जी का जन्म हुआ। कृषक खैराज ने पिता जी को गांव कोड़ावाली के प्राथमिकस्कूल से 5वींकी परीक्षा पास करवाई। अगस्त, 1947 को जब भारत का विभाजन हुआ तो खैराज जी अपने हरे-भरे खेत खलिहान वदुधारू पशुओं कोछोड़कर वर्तमान फतेहाबाद जिले के गांव मोहम्मदपुर रोही में आकर बस गए। विभाजन की त्रासदी झेलते पिताजी नेयुवावस्था में माता-पिता की आज्ञा से व्यापार करने का मन बनाया और आदमपुर को अपना कर्मक्षेत्र चुनकर यहां कपड़े का व्यापार आरंभ किया।

पिताजी की विनम्र मुस्कानयुक्त कार्यशैली और उनका संपूर्ण संघर्षमयी जीवन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ग्राम पंच, खंडसमितिके अध्यक्ष से विधायक, मंत्री, सांसद, केन्द्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री के गरिमापूर्ण पद पर रहते हुए वे आम आदमी से सीधे रूप सेजुड़े रहनेकी विलक्षण भावना से भरे हुए थे। अपने द्वार पर आए हर व्यक्ति की समस्या का समाधान उन्होंने अपनी संपूर्ण क्षमता सेकिया। राष्ट्र केअन्य राजनीतिज्ञ व्यक्तियों से उनका अलग मानवीय पहलू यह भी था कि उनके द्वार से कोई व्यक्ति यथा समय जलपानव भोजन किएबिना जानें नहीं दिया गया। उनके घर के द्वार 24 घंटे जनसाधारण की समस्याओं के निराकरण के लिए सदैव खुले रहतेथे। प्रदेश की 36 बिरादरी के लोगों के हितों के संरक्षण के लिए ही उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया। उनकी जनहित से जुड़ी नीतियोंका ही यह सुखदपरिणाम था कि वे अपनी लोकप्रियता के बल पर सर्वाधिक लबे समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

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