एलएमवी लाइसेंस धारक का 7500 किलाग्राम तक का वाहन चलाना सही, हाईकोर्ट ने खारिज की बीमा कंपनी की अपील

-मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ बीमा कंपनी की अपील खारिज
-टाटा 407 वाहन से हुई थी दुर्घटना, एमएसीटी ने ड्राइवर का लाइसेंस माना था|

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस धारक व्यक्ति 7500 किलो तक का ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकता है। यदि इसे चलाते हुए कोई दुर्घटना होती है तो उस स्थिति में लाइसेंस को वैध माना जाएगा।

याचिका दाखिल करते हुए बीमा कंपनी ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल मेवात के आदेश को चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया कि 4 अक्तूबर 2006 को 42 वर्षीय जय दयाल मैक्स वाहन में बैठकर जा रहा था। इस दौरान नगिना में टाटा 407 को चलाते हुए आयुब खान ने मैक्स को टक्कर मार दी। इस घटना में जय दयाल गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान जय दयाल की मौत हो गई।

जय दयाल की विधवा पत्नी व बच्चों ने मुआवजे के लिए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल की शरण ली थी। एमएसीटी मेवात ने उनके क्लेम को जायज मानते हुए 12 लाख 62 हजार रुपये मुआजा तय किया था। बीमा कंपनी को मुआवजे पर 7.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष दर से ब्याज देने का भी निर्देश दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।

बीमा कंपनी का दावा था कि आयुब के पास केवल बाइक व कार चलाने का लाइसेंस था, इसके बावजूद वह टाटा 407 चला रहा था। बीमा कंपनी ने कहा कि आयुब का लाइसेंस टाटा 407 चलाने के लिए वैध नहीं था और टाटा 407 का वजन 2000 किलो था।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कानून की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि आयुब का लाइसेंस टाटा 407 चलाने के लिए पूरी तरह से वैध था। मोटर व्हीकल एक्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश से स्थिति स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति जिसके पास एलएमवी लाइसेंस है वह 7500 किलो तक का वाहन चला सकता है। ऐसे में इस मामले में आयुब का लाइसेंस टाटा 407 चलाने के लिए वैध था। कोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए एमएसीटी के आदेश को बरकरार रखा है।