स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया डायरिया मुक्त अभियान सोमवार से शुरू हो गया है। मगर अभी तक विभाग के पास पर्याप्त संख्या में ओआरएस और जिंक की गोलियां नहीं है।
पुराने स्टॉक के सहारे ही अभियान शुरू कर दिया है। जबकि निदेशालय की ओर से ओआरएस घोल के पैकेट नहीं मिले है। अभियान में एक लाख से अधिक बच्चों को दो- दो पैकेट ओआरएस के बांटने हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को तीन लाख पैकेट की आवश्यकता है। मगर अभी तक यह स्टॉक नहीं मिला है। इससे आगे चलकर अभियान प्रभावित भी हो सकता है।
निदेशालय को लिखा पत्र
जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से ओरआरएस और जिंक के स्टाॅक के लिए पत्र लिखा गया है। मगर अभी तक विभाग को स्टॉक नहीं मिला है। अभियान के तहत अलग से स्टॉक सीधे ही विभाग के पास भेजा जाता है। इतना ही नहीं वर्तमान में विभाग के पास अपने स्तर पर भी ओआरएस के पैकेट कम हो रहे हैं। आशाओं को देने के लिए विभाग के पास पूरा बजट भी नहीं आया है। इतना ही नहीं पिछले भुगतान भी अभी तक बकाया है। जिस कारण इस अभियान पर असर पड़ सकता है।
जुलाई तक चलेगा अभियान
इस अभियान के तहत सभी ग्रामीण क्षेत्रों में आशाएं और अन्य स्वास्थ्य कर्मी घर- घर जाकर बच्चों की जांच करेंगी। जिसके लिए एक लाख 37 हजार बच्चों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जांच के दौरान शून्य से पांच वर्ष तक के जिन बच्चों में डायरिया मिलेगा उन्हें तीन पैकेट तो वहीं सामान्य स्थिति वाले बच्चे को दो- दो पैकेट ओआरएस दिया जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य कर्मी व आशाएं भी घर- घर जाकर लोगों को ओआरएस का घोल बनाना सिखाएंगी। वहीं जिन बच्चों में अधिक लक्षण मिलेंगे उन्हें रेफर किया जाएगा।
अभियान की शुरूआत कर दी गई है। वर्तमान में जो स्टॉक है। उसी का इस्तेमाल किया जा रहा है। मगर अभियान के लिए अलग से ओआरएस एवं जिंक का स्टॉक अभी नहीं मिला है।
-डॉ. जशनप्रीत सिंह, जिला टीकाकरण अधिकारी, अंबाला।