बराड़ा की बेटी डाॅ. राजविंद्र अमेरिका में बनी वैज्ञानिक

बराड़ा के साधारण परिवार में जन्मी बेटी आज अमेरिका में भारत का नाम चमका रही है। चार बहनों में सबसे छोटी डॉ. राजविंदर कौर अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिनीसोटा में रिसर्च साइंटिस्ट के तौर पर काम कर रही है।

यहां उनका शोध मानव स्वास्थ्य के लिए नई संभावनाएं खोज रहा है। उनका अगला लक्ष्य विश्व स्वास्थ्य संगठन तक पहुंचना है। गत मई में वह अमेरिका पहुंच चुकी हैं। डॉ. कौर बराड़ा के जनकपुरी कॉलोनी में रहने वाले वेयरहाउस कार्पोरेशन से सीनियर मैनेजर अकाउंट पद से सेवानिवृत सतपाल की बेटी हैं।
13 साल पहले सिर से उठा था मां का साया
वर्ष 1991 में जन्मी डॉ. राजविंद्र कौर के सिर से 2012 में माता का साया उठ गया। माता के बाद पिता ने चार बेटियों और एक बेटे को लेकर माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाई। तीन बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है, जबकि डॉ. कौर और उसका छोटा भाई अभी अविवाहित है। डॉ. कौर बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं और डॉक्टर बनने का सपना संजोए थीं। परंतु, उनके स्कूली दिनों में उचित मार्गदर्शन के अभाव के कारण उन्हें सहयोग नहीं मिला।

यही वजह थी कि पीएमटी प्रवेश परीक्षा में वह कुछ ही अंकों से पीछे रह गईं। आर्थिक तंगी के चलते परिवार के पास प्राइवेट संस्थान में दाखिले का विकल्प भी नहीं था। परंतु राजविंदर ने हार नहीं मानी।

शिक्षा में रास्ता स्वयं बनाया

डॉ. कौर ने 10वीं बराड़ा जनता कॉलेज से की बीएससी बायोटेक्नोलॉजी (ऑनर्स) चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज से की। मार्गदर्शक की कमी के कारण राज्य से बाहर नहीं जा सकीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद नेट जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) उत्कृष्ट रैंक हासिल की और उत्तर भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार सीएसआईआर-सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमटेक), चंडीगढ़ (भारत सरकार का उपक्रम) में शोध कार्य का अवसर मिला। यहां उन्हें उम्मीद थी कि वे राष्ट्र व परिवार के लिए कुछ कर पाएंगी, लेकिन इस क्षेत्र में पारिवारिक पृष्ठभूमि या मार्गदर्शक न होने की वजह से फिर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

कैंसर की दवा पर की पीएचडी

डॉ.राजविंदर कौर ने अपनी मेहनत के बल पर हैदराबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलाॅजी (आईआईसीटी ) से पीएचडी की। उन्होंने कैंसर की दवा पर पीएचडी की। पीएचडी पूरी होने से पहले ही उनकी प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उन्हें अमेरिका के एक प्रतिष्ठित संस्थान में ड्रग डिलीवरी के क्षेत्र में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप के लिए चुना।