नहीं बदल सकता मैं खुद को औरों के हिसाब से;

‘‘नहीं बदल सकता मैं खुद को औरों के हिसाब से, एक लिबास मुझे भी दिया है ईश्वर ने अपने हिसाब से’’
‘‘जैसा स्वभाव मेरा है वैसा ही स्वभाव मुझे मेरे जन्म देने वाले पिता का देखा जिन्होंने कभी स्वाभिमान से खेलने वाले को माफ नहीं किया’’

आज समाज में बहुत बदलाव आ चुका है मुंह पर कुछ, सामने कुछ। आज लोगों की सोच व्यक्ति विशेष को देखकर बदलती है और ऐसे भी लोगों की कमी नहीं जो जरूरत पड़ने पर गधे को बाप और न जरूरत पड़ने पर बाप को गधा बता दिया जाए लेकिन मैं क्या करूं मैं मजबूर हूं मैं अपना कहकर किसी के पीठ पर खंजर नहीं घोंप सकता, मैं क्या करूं मेरी कोई कीमत लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता इसलिए मुझे अलग अलग तरीके से समाज में बदनाम करने की कोशिश की जाती है लेकिन क्या फर्क पड़ता है जो है नाम वाला वही तो बदनाम है।

कुछ लोग चाहते हैं मैं बदल जाऊं सच को सच न कहूं, बुराई को देखकर अंधा हो जाऊं, अन्याय के खिलाफ न लडूं अगर कोई एक थप्पड़ मार दे खाकर घर आ जाऊं, अगर कोई गाली दे तो खाकर घर आ जाऊं यह मेरे डीएनए में नहीं है इसमें मेरा क्या कसूर है। मैं शातिर नहीं हूं, चालाक नहीं हूं। चोर को चोर कह देता हूं, डाकू को डाकू कह देता हूं अपनो के लिए कितना भी बड़ा त्याग करने को तैयार हो जाता हूं लेकिन मेरे अपने चाहते हैं मैं ऐसा न करूं। मैं आज इस लेख के माध्यम से सब अपनों को चाहे वो खून वाले हैं या समाज वाले मैं बदल नहीं सकता, मैं किसी को धोखा नहीं दे सकता, मैं किसी की पीठ पर छूरा नहीं घोंप सकता, मैं किसी अपने को बुरा वक्त में अकेला नहीं छोड़ सकता और करण की तरह मर सकता हूं रण का मैदान नहीं छोड़ सकता।

अगर कोई रिश्ते की दुहाई देकर कोई भावनाओं की दुहाई देकर, कोई बच्चों की दुहाई देकर मुझे बदलने का प्रयास करेगा वह आसमान को और सूरज को हाथ लगाने का प्रयास करेगा। मैं बदल सकता हूं उस दिन जिस दिन मैं अंतिम सांस लूंगा जिस दिन मैं लकड़ियों में जल रहा हूंगा और वह सब अपने और बेगाने यह कहेंगे कि वीरेश शांडिल्य जैसा बनना मुश्किल है, मुश्किल कुछ नहीं होता बस आदमी के अंदर आत्मा होती है उसको जवाब देना होता है और मेरी आत्मा जीते जी भी मेरे साथ है और मरने के बाद भी मुझे कोसेगी नहीं।

नहीं बदल सकता मैं खुद को औरों के हिसाब से, एक लिबास मुझे भी दिया है ईश्वर ने अपने हिसाब से। मुझे बदलने के चक्कर में कईयों को मैंने छोड़ दिया और कुछ मुझे छोड़ गए लेकिन मेरी आत्मा ने मुझे मेरे लिए फैसलों के कारण कोसा नहीं। जैसा स्वभाव मेरा है वैसा ही स्वभाव मुझे मेरे जन्म देने वाले पिता का देखा जिन्होंने कभी स्वाभिमान से खेलने वाले को माफ नहीं किया।