उद्योगपति रतुल पुरी और अन्य को बैंक धोखाधड़ी के मामलों में बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की अदालतों ने ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया है।
दिल्ली की दो अलग-अलग अदालतों ने उद्योगपति रतुल पुरी और अन्य आरोपियों को कुल 1,101 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के दो मामलों में आरोपमुक्त कर दिया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीई) के आरोपपत्र में किसी भी प्रकार की आपराधिक मंशा साबित न होने पर अदालत ने यह फैसला सुनाया। ये दोनों मामले मोजर बेयर सोलर लिमिटेड और मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड से जुड़े थे, जिनमें एक मामले में 747 करोड़ रुपये और दूसरे मामले में 354 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे।
सीबीआई ने साल 2019 और 2020 में दोनों मामलों में प्राथमिकी दर्ज की थी। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि रतुल पुरी और अन्य ने बैंकों से लिए गए कर्ज का दुरुपयोग किया, जिससे बैंकों को भारी नुकसान हुआ। लेकिन जांच के दौरान अदालतों ने पाया कि इस गतिविधि को आपराधिक साबित करने के लिए पार्याप्त सबूत नहीं मिले। मई 2024 में सीबीआई की विशेष अदालत ने मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड केस में पुरी को आरोपमुक्त किया था, जबकि जनवरी 2024 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मोजर बेयर सोलर लिमिटेड मामले में भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
सुनवाई के दौरान क्या बोले विशेष न्यायाधीश अग्रवाल
विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला मुख्य रूप से दीवानी (सिविल) विवाद का है और इसमें किसी आपराधिक साजिश के सबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पेश की गई सामग्री केवल संदेह पैदा करती है, लेकिन गंभीर संदेह नहीं। इसी तरह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपक कुमार ने भी कहा कि जांच एजेंसी यह बताने की कोशिश कर रही है कि व्यापार कैसे किया जाना चाहिए, लेकिन वह कोई आपराधिक मंशा स्थापित नहीं कर रही है।
सीबीआई को एक और झटका
इस मामले में सीबीआई को एक और झटका तब लगा, जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एजेंसी को अपने अधिकारियों के खिलाफ जांच और अभियोजन की अनुमति नहीं दी। अदालतों ने माना कि आरोप दोनों पक्षों के बैंक अधिकारियों और आरोपियों पर समान रूप से थे और यदि बैंक अधिकारियों को लाभ मिल रहा है, तो आरोपियों को भी यही लाभ मिलना चाहिए।
सीबीआई ने दायर की पुनर्विचार याचिका
हालांकि, सीबीआई ने मोजर बेयर सोलर लिमिटेड केस में अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिस पर जुलाई में सुनवाई होनी है। वहीं, मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड मामले के फैसले को चुनौती देने की प्रक्रिया भी जारी है। अदालतों ने यह भी माना कि कंपनी के खातों का स्वतंत्र ऑडिट हुआ था और संबंधित बैंक, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी), आयकर विभाग आदि को ये रिपोर्ट दी गई थीं, लेकिन किसी भी संस्था ने आपत्ति नहीं जताई थी। इससे जांच एजेंसी का मामला और कमजोर हो गया।