सरस्वती नदी के चैनल (करवाई गई खोदाई) में चोतंग, राखसी, टांगरी व मारकंडा का पानी आ जाता है। इस चैनल में जहां चोतंग नदी, राखसी नदी, टांगड़ी व मारकंडा का पानी आता है, वहां तटबंध मजबूत करने का काम शुरू हुआ है। सरस्वती नदी चैनल में यमुना नगर से कुरुक्षेत्र के बीच करीब 60 गांवों के साथ तटबंधों का काम जारी है, लेकिन कार्य की गति बेहद धीमी है।
हरियाणा में मानसून कभी भी दस्तक दे सकता है, लेकिन बाढ़ से निपटने के लिए मुकम्मल इंतजाम नहीं हैं। यमुना की सफाई से जुड़े इंजीनियर इन चीफ और चीफ इंजीनियर दावा कर रहे हैं कि काम जारी है और 30 जून तक सभी कार्य करा लिए जाएंगे।
धरातल के कार्यों को देखकर स्पष्ट हो गया है कि सिंचाई विभाग ने 2023 में आई बाढ़ से कोई सबक नहीं लिया। असल स्थिति तो यह है कि टांगरी व मारकंडा में गाद निकालने के कुछ कार्य हो रहे हैं।
घग्गर में बरसात को लेकर कोई कार्ययोजना तय नहीं है, केवल एक वर्ष के लिए मध्यम श्रेणी के कार्य कराने की भविष्य के लिए योजना है। इसमें तटों को मजबूत करना है। 2023 में आई बाढ़ के बाद काम हुए थे। यमुना, टांगरी और मारकंडा पर खनन विभाग भी काम कराता है, लेकिन वह भी खास दिलचस्पी नहीं दिखा सका। खनन विभाग 10-10 वर्ष के अनुबंध पर यह कार्य कराता है।
बाढ़ राहत के 209 शाॅर्ट टर्म में केवल 11 ही काम हुए
विभागीय तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं। बुधवार तक बाढ़ राहत वाले शाॅर्ट टर्म (अल्पावधि के) 209 में से केवल 11 से अधिक ही काम हो सके थे, शेष पर 30 जून तक काम कराने का अधिकारियों का दावा है। जलजभराव वाले क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने से लेकर दूसरे कार्यों में रोहतक में पांच, झज्जर में पांच, कुरुक्षेत्र में केवल एक ही काम हो सका है।
मारकंडा पर सिंचाई व खनन विभाग के बीच फंसा काम, कुछ ही काम जारी
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मारकंडा नदी में से कुल गाद का आकलन करने दिसंबर 2024 व जनवरी 2025 में सर्वे कराया गया। सर्वे में 32 लाख क्यूबिक मीटर गाद व रेत का अनुमान लगाया गया। बड़ी मात्रा में गाद होने के कारण खनन विभाग से भी पत्राचार किया, लेकिन बात नहीं बनी।
बाद में नदी से गाद निकालने के लिए छह हिस्सों में काम बांटकर टेंडर किए गए। मार्च में दो बार टेंडर हुए, लेकिन अधिक गाद होने के कारण कोई एजेंसी नहीं आई। इसलिए संबंधित कार्य को कराने के लिए छह हिस्सों में काम बांटा गया, जोकि कलसाना, झांसा, खंजपुर, जटभेड़ा, डांडलू-पांडनू के निकट थे। यह कार्य भी सिरे नहीं चढ़े, ऐसे में कुरुक्षेत्र के गुमटी, कलसाना, झांसा, जलखेड़ा के निकट ओवरब्रिज के नीचे वाले केवल चार स्थानों पर गाद निकालने के लिए टेंडर किए गए। वहीं, मार्च के आखिर में चार स्थानों से 24 हजार, 10 हजार, 13 हजार, 8 हजार क्यूबिक मीटर गाद निकालने का टेंडर किया गया। तीन जून से गुमटी, कलसाना व झांसा के निकट ओवरब्रिज के निकट गाद निकालने के काम जारी हैं, अन्य स्थानों पर तटबंध भी मजबूत किए जा रहे हैं। यह काम जल्दी पूरा हो पाएगा, नहीं जा सकता, जबकि मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक मानसून तीन-चार दिन में आने वाला है।
टांगरी नदी में केवल तीन स्थानों पर ही काम
2023 में आई भीषण बाढ़ के बावजूद इस बार टांगरी में पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए। डिसिल्टिंग के लिए मार्च में टेंडर किए गए, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से दोबारा कराने पड़े। टांगरी नदी में अंबाला के रामगढ़ माजराके पास महेश नगर, शाम पुर और दुराना ओवरब्रिज के निकट काम हो रहे हैं। इसके अलावा कुछ स्थानों पर तटबंध मजबूत किए जा रहे हैं।
सरस्वती नदी पर 70 किलोमीटर और कार्यों का विस्तार
सरस्वती नदी के चैनल (करवाई गई खोदाई) में चोतंग, राखसी, टांगरी व मारकंडा का पानी आ जाता है। इस चैनल में जहां चोतंग नदी, राखसी नदी, टांगड़ी व मारकंडा का पानी आता है, वहां तटबंध मजबूत करने का काम शुरू हुआ है। सरस्वती नदी चैनल में यमुना नगर से कुरुक्षेत्र के बीच करीब 60 गांवों के साथ तटबंधों का काम जारी है, लेकिन कार्य की गति बेहद धीमी है। हरियाणा सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने बताया कि पहले 95 किलोमीटर क्षेत्र में काम हो रहा था, लेकिन फिर से समीक्षा की तो दूसरी जुड़ाव वाली नदियों के 70 किमी क्षेत्र को भी शामिल करके काम शुरू करा दिया है।
गाद निकलने से तेज बहाव में अवरोधक हो जाते हैं खत्म
नदियों से गाद निकालने का कार्य हो जाने से पहाड़ों से आने वाले बरसाती पानी का बहाव स्वत: ही होने लगता है। पानी निरंतर बहने से तटबंध कम टूटते हैं, लेकिन हरियाणा की घग्गर, टांगरी व मारकंडा नदियों में गाद भरी पड़ी है।
हरियाणा में खतरे के निशान से ऊपर पहुंचती हैं नदियां
हरियाणा में यमुना के बाद घग्गर सबसे बड़ी नदी है, करीब 300 किमी लंबी घग्गर नदी अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा व फतेहाबाद आदि जिलों से गुजरती है। यदि मारकंडा नदी की बात करें तो अंबाला और कुरुक्षेत्र में मुख्य रूप से यह नदी है। प्रदेश में 120 किलोमीटर लंबी यह नदी शाहाबाद (कुरुक्षेत्र) के निकट झांसा में 8416 क्यूसेक पर खतरे के निशान पर पहुंच जाती है, 2023 में इस नदी में क्षमता से डेढ़ गुना यानी 55 हजार क्यूसेक पानी आ गया था। टांगरी नदी प्रदेश में 91 किमी की है और अंबाला के निकट जनुसई में 25 हजार क्यूसेक से ऊपर पानी आने पर यह नदी खतरे के निशान को दर्शाती है।
यमुना नदी में मेरा कार्यक्षेत्र है और यहां कार्य जारी हैं। मैंने तो सोनीपत और फरीदाबाद में भी सभी कार्यों का निरीक्षण किया था। बरसाती सीजन से जुड़े कार्य गंभीरता के साथ जारी हैं। – बीरेंद्र सिंह, इंजीनियर इन चीफ(विशेष), सिंचाई विभाग
मारकंडा व टांगरी में काम जारी हैं, 30 जून तक करा लिए जाएंगे। घग्गर में भविष्य में मध्यम श्रेणी के कार्यों को कराने की योजना है। शहरों में 672 ड्रेन में से 88 प्रतिशत ड्रेन साफ किए जा चुके हैं। – एमएल राणा, चीफ इंजीनियर, सिंचाई विभाग