आम तौर पर देखने में आता है कि पुलिस विभाग के चौकी इंचार्ज से लेकर थाना प्रभारी, डीएसपी, एएसपी, एसपी, आम आदमी का फोन उठाते हैं और इन तमाम पुलिस अधिकारियों के नंबर भी थाने चौकियो में लगे बोर्डों पर मिलते हैं और किसी भी पुलिस अधिकारी व कर्मी को चाहे आधी रात को फोन कर लो वह उपलब्ध रहता है और समस्या का हल भी आधी रात को पुलिस हल करती है लेकिन अंबाला का चाहे डीसी हो या एडीसी, एसडीएम हो या तहसीलदार कोई भी अधिकारी फोन नहीं उठाता और न ही इनका नंबर उपलब्ध है यही नहीं डीसी और निगम कमिश्नर सहित अंबाला शहर के सीएमओ का भी मोबाइल नंबर उपलब्ध नहीं है और अगर कोई व्यक्ति इधर उधर से नंबर अरेंज कर भी लेता है तो उसका फोन उठाया ही नहीं जाता। क्या वर्तमान सरकार की यही पारदर्शिता है क्या यह अधिकारी पब्लिक सर्वेंट हैं एक जिला के डीसी से हर दूसरे आदमी को काम है। और डीसी किस चीज का पब्लिक सर्वेंट है जब उनका मोबाइल नंबर ही आम लोगों को उपलब्ध नहीं है और लैंड लाइन नंबर पर डीसी को अगर फोन कर लिया जाए तो फोन उठाने वाला कभी बात नहीं करवाता कभी कहता साहब मीटिंग है, कभी कहता है साहब दौरे पर हैं, कभी कहता है साहब सीएम साहब के साथ वीसी पर हैं। आखिर जिला के डीसी सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के नंबर भी पुलिस विभाग की तरह सार्वजनिक होने चाहिए उन्हें भी पुलिस विभाग की तरह सरकारी नंबर दिए जाने चाहिए। जिला का डीसी गाड़ी, घोड़ा, कोठी, नौकर चाकर इंज्वाय करवाने के लिए पोस्टिंग नहीं दी जाती वह तो जनता के नौकर हैं और 24 घंटा जनता के लिए उपलब्ध रहना चाहिए। इसलिए नायब सैनी सरकार को इस संपादकीय का अवलोकन कर जनहित में जरूरी आदेश पारित करने चाहिए।