आरोपी लोगों को खतरनाक संदेश भेज झूठा दावा करते थे कि उन्होंने क्रिप्टो करेंसी खरीदी है और उनके बैंक खाते से पैसे कट जाएंगे। संदेशों में सहायता के लिए संपर्क नंबर भी दिया जाता था। जब पीड़ित दिए गए नंबर पर कॉल करते थे तो जालसाज खुद को अधिकारी बताकर उनसे निजी और बैंकिंग विवरण सांझा करवा लेते थे।
मोहाली साइबर क्राइम पुलिस ने 50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में शामिल अवैध अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए एक महिला सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। यह कॉल सेंटर सेक्टर-91 में अवैध रूप से चल रहा था। यहां काम करने वाला स्टाफ ऑनलाइन घोटाले के माध्यम से लोगों से लगभग 50 करोड़ रुपये ठग चुका था। आरोपी लोगों को खतरनाक संदेश भेजकर झूठा दावा करते थे और फिर खुद ही अधिकारी बनकर लूटते थे।
साइबर क्राइम व फोरेंसिक डीएसपी रूपिंदरदीप कौर सोही के नेतृत्व में साइबर क्राइम टीम ने इस ऑपरेशन को अंजाम देते हुए ठगों को गिरफ्तार किया। इस कॉल सेंटर की एक ब्रांच विदेश में चल रही है। पुलिस स्टेशन साइबर क्राइम फेज-7 में आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 318 (4), 61 (2) और आईटी एक्ट की धारा 66-डी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मोहाली के एसपी सिरिवेनेला ने बताया कि एक्मे ईडन कोर्ट सोसायटी सेक्टर-91 के फ्लैट नंबर-501 में अवैध कॉल सेंटर संचालित होने की सूचना मिली थी। तुरंत छापेमारी कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान मुंबई के वडाला ईस्ट निवासी अभिषेक पांडे, जम्मू-कश्मीर के बहू फोर्ट निवासी अक्षय कुमार, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग निवासी प्रदीप दास, पश्चिम बंगाल के अमित तिवारी, हिमाचल के कांगड़ा निवासी मुकुल सिंह, कोलकाता निवासी शॉन साकिन, अरफीन सादिक और अर्पिता सर्वविद्या के रूप में हुई है। आरोपियों से धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए 12 लैपटॉप, पीड़ितों के साथ संवाद करने के लिए इस्तेमाल किए 14 मोबाइल और एक स्कॉर्पियो गाड़ी बरामद की गई है।
ऐसे करते थे धोखाधड़ी
आरोपी लोगों को खतरनाक संदेश भेज झूठा दावा करते थे कि उन्होंने क्रिप्टो करेंसी खरीदी है और उनके बैंक खाते से पैसे कट जाएंगे। संदेशों में सहायता के लिए संपर्क नंबर भी दिया जाता था। जब पीड़ित दिए गए नंबर पर कॉल करते थे तो जालसाज खुद को अधिकारी बताकर उनसे निजी और बैंकिंग विवरण सांझा करवा लेते थे और उन्हें गिफ्ट कार्ड, ई-वाउचर या सीधे बैंक ट्रांसफर के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते थे। यह अवैध काम बीते छह महीनों से चल रहा था और प्रारंभिक जांच में धोखाधड़ी की राशि लगभग 50 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। सह-आरोपियों की पहचान और वित्तीय लिंक का पता लगाने का काम जारी है। जांच अभी भी जारी है और आगे और भी गिरफ्तारियां या संपत्ति जब्त होने की संभावना है।