भारी पुलिस फोर्स…12 एकड़ जमीन करवाई खाली, आंखों के सामने टूटे घर

पंजाब-हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में वीरवार को सैकड़ों आशियानों पर बुलडोजर चलाया गया। लोगों की आंखों के सामने ही उनके घर तोड़ दिए गए। यह कार्रवाई सेक्टर-53-54 की आदर्श कॉलोनी में की गई है।

सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ को स्लम फ्री बनाने की कवायद जारी है। शहर की सुंदरता पर दाग बनने वाली झुग्गी-झोंपड़ियों को चंडीगढ़ प्रशासन हटा रहा है। शहर के जिस भी हिस्से पर झुग्गी-झोंपड़ियां हैं उनपर बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। इसी सिलसिले में प्रशासन ने वीरवार को सेक्टर 53-54 की आदर्श कॉलोनी में अतिक्रमण अभियान चलाते हुए करोड़ों रुपये की जमीन खाली कराई। करीब 12 एकड़ जमीन पर यहां अवैध तरीके से लोग रह रहे थें। वर्षों से सरकारी जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ था।

वीरवार सुबह ही बड़ी संख्या में पुलिस के जवान और प्रशासन ने अधिकारियों ने अभियान शुरू करते हुए बुलडोजर चलाने का काम शुरू किया। मौके पर कोई विरोध या हंगामा न हो इसके लिए करीब एक हजार से ज्यादा पुलिस जवानों को तैनात किया गया था।

इस दौरान एक झोपड़ी में आग भी लग गई। जिसकी वजह से वहां कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल भी बन गया। मौके पर मौजूद प्रशासन और पुलिस के लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं लग पाया कि यह आग कैसे लगी है। हालांकि उस दौरान वहां कोई मौजूद नहीं था, ऐसे में कोई नुकसान नहीं हुआ है। हंगामें और विरोध की आशंका के बीच प्रशासन की टीम पुरी तैयारियों के साथ पहुंची थी। जेसीबी और डंपर के साथ- साथ मौके पर एंबुलेंस भी अभियान के दौरान मौजूद रही। जिससे कि किसी की तबीयत खराब होने पर तत्काल मदद मिल सके। मौके पर 6 एंबुलेंस डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ तैनात की गिए थें।

कानून का राज और शहर के विकास के लिए अभियान
डीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि यह कार्रवाई सिर्फ जमीन खाली कराने के लिए नहीं है, बल्कि यह कानून का राज और शहर के नियोजित विकास के लिए भी है। बताया गया कि शहर में किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी अवैध बस्तियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मायूस चेहरों के साथ आशियाने का उजड़ते देखा
यहां रहने वाले कई लोग हैं जिनके पास रहने के लिए अपना कोई आशियाना या ठिकाना भी नहीं था। ऐसे में लोग मायूस चेहरे के साथ अपने आशियाने को टूटते देखते रहे। एक बुजर्ग महिला जिसके हाथ और पैर भी नहीं थे। वह व्हील चेयर पर बैठी रोती रही। पूछने पर नाम नहीं बताया लेकिन यह जानकारी दी कि उनके पति भी विकलांग की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में अब कहां जाए कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसके अलावा बाकी लोग भी चुप – चाप अपनी झोपड़ी टूटते देखते रहे। उनका कहना था कि वह सब गरीब तबके से आते हैं। रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं था तो यहां पर झोपड़ी बनाकर रहते थें। सरकारी जमीन कब्जा करने जैसी कोई बात नहीं है।