भारत-PAK के दो नेताओं ने लिया संघर्ष रोकने का ‘फैसला’; हो सकता था परमाणु युद्ध

पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस बात को स्वीकार किया है कि भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्ष रोकने का फैसला पाकिस्तान और भारत के दो नेताओं ने मिलकर लिया। बता दें कि इससे पहले ट्रंप करीब 15 मौकों पर ये बात कह चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोकने का श्रेय उन्हें मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चौंकाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन पर हुई बातचीत के बाद पहली यह स्वीकार किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को समाप्त करने में अमेरिका की भूमिका नहीं रही है। ट्रंप ने 6-7 मई की दरम्यानी रात भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद 10 मई को थमी गोलाबारी का श्रेय पहली बार खुद नहीं लिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को इसका श्रेय मिलना चाहिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल जनरल मुनीर के साथ लंच मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह टिप्पणी की।

दोनों देशों का टकराव परमाणु युद्ध में बदल सकता था
ट्रंप ने कहा, वे जनरल मुनीर से मिलकर ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को युद्ध न करने का फैसला करने के लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने बताया कि भारत और पाकिस्तान के दोनों ‘बहुत ही स्मार्ट’ नेता युद्ध आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लेने में सक्षम रहे। ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देशों का टकराव परमाणु युद्ध में बदल सकता था क्योंकि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं।

अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार करेगा, बशर्ते…
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान पहले की तुलना में इसलिए भी अलग है, क्योंकि उन्होंने भारत की तरफ से खंडन किए जाने के बावजूद कई बार यह दावा किया कि उन्होंने खुद हस्तक्षेप कर न केवल भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव घटाया बल्कि शांति स्थापित करने में अहम भूमिका भी निभाई। इससे पहले के बयानों में ट्रंप ने यह भी कहा था कि अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार करेगा, बशर्ते वे संघर्ष को समाप्त करने को राजी हो जाएं।

पीएम मोदी ने युद्ध रोका, वे शानदार इंसान; पाकिस्तान की तरफ से सेना प्रमुख…
ट्रंप ने यह भी कहा कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं। उन्होंने मोदी को ‘शानदार इंसान’ बताया और यह भी कहा कि उन्होंने ही युद्ध को रोका, हालांकि उन्होंने अफसोस जताया कि इस पर कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं आई। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मुनीर ने पाकिस्तान की ओर से संघर्ष रोकने में अहम भूमिका निभाई। ट्रंप के अनुसार, दोनों देशों के नेताओं और उनके अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रण में रखने का समझदारीभरा फैसला लिया।

आतंकवाद को अब प्रॉक्सी युद्ध नहीं मानता भारत
भारत की ओर से ट्रंप की बयानबाजी का पुरजोर खंडन किया गया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कनाडा के कानानास्किस से जारी एक वीडियो संदेश में स्पष्ट किया कि भारतीय सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान अमेरिका से किसी भी तरह की मध्यस्थता पर कोई चर्चा नहीं हुई। बकौल मिस्री, भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रोकने को लेकर बातचीत दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई। पहल भारत ने नहीं की, बल्कि पाकिस्तान की ओर से सीजफायर की गुहार लगाई गई थी। मोदी ने ट्रंप से फोन पर बात करते समय यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत अब आतंकवाद को प्रॉक्सी युद्ध नहीं, बल्कि एक वास्तविक युद्ध के रूप में देखता है।

10 मई की शाम सीजफायर, इसके बाद ट्रंप ने कई बार श्रेय लेने की होड़ दिखाई
बता दें कि ट्रंप 10 मई को हुए संघर्ष विराम के बाद कई मौकों पर श्रेय लेने की होड़ में दिखे। उन्होंने कहा कि व्यापार जारी रखने का हवाला देकर उन्होंने भारत  और पाकिस्तान के नेताओं को गोलाबारी रोकने के लिए राजी किया।

हालांकि, भारत ने कई बार इसका पुरजोर खंडन भी किया। मंत्रियों-सांसदों के अलावा विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान का टकराव दोनों देशों के सैन्य महानिदेशकों (DGMO) की वार्ता और पाकिस्तान की तरफ से की गई सीधी अपील के बाद ही रोकी गई। इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता जैसी बातों या अन्य पहलुओं को शामिल करना ठीक नहीं है।

कहां से शुरू हुआ भारत और पाकिस्तान का हिंसक टकराव
बता दें कि इसी साल 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। दहशतगर्द ने 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या कर फरार हो गए। जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (POJK) में नौ आतंकी ठिकानों के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई शुरू की। इसके बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई। इसी के साथ चार दिनों तक चले ड्रोन और मिसाइल हमले खत्म हुए।

किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा
ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष थमने की पूरी प्रक्रिया में भारत सरकार और सैन्य महानिदेशकों ने बार-बार कहा कि टकराव खत्म करने के पीछे कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था। यह निर्णय केवल भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ। ट्रंप की टिप्पणी को सिरे खारिज कर भारत कई बार दोहरा चुका है कि कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े मसले द्विपक्षीय हैं। किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा।