उत्तर भारत के आसमान पर अक्टूबर से दिसंबर तक धुंध छाना कोई नई घटना नहीं है. पराली जलाने की घटनाएं, अधिकतर पंजाब और हरियाणा से, और कुछ हद तक उत्तर प्रदेश और राजस्थान से रिपोर्ट होती हैं. यही वजह है कि आसमान पर काले धुएं की मोटी परत दिखाई देने लगती है.
पिछले वर्षों में दिल्ली समेत तमाम शहरों में जहरीली हवा से बचने के लिए कुछ लोग मास्क का इस्तेमाल करते भी दिखाई देते थे. हालांकि इस साल कोरोना महामारी की वजह से पहले से ही हर शख्स के चेहरे पर मास्क है. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि पराली जलाने से सांस में दिक्कत की शिकायतें बढ़ेंगी और इससे महामारी की स्थिति और विकट हो सकती है.
पंजाब में जल्दी ही पराली जलाए की रिपोर्ट्स को प्रशासनिक अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है. सेंटिनेल की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि किस तरह किसान, खासतौर पर अमृतसर जिले में, पराली (फसलों के अवशेषों) को आग के हवाले कर रहे हैं.
19 सितंबर की सैटेलाइट तस्वीर से पता चलता है कि पराली जलाने की शुरुआत अमृतसर के पूर्व में मामूली आग के साथ हुई. इसके बाद सैटेलाइट तस्वीरों ने पकड़ा कि हर गुजरते दिन के साथ धुएं के बादल बड़े और गहरे होते गए.