झूठे मुकदमें व जांच करने वाले पुलिस अधिकारी बर्खास्त होने चाहिए

झूठे मुकदमें व जांच करने वाले पुलिस अधिकारी बर्खास्त होने चाहिए: न्याय का मूल सिद्धांत है ‘‘भले ही सौ गुनेहगार बच जाएं लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए’’ लेकिन क्या इस देश में यह कानून, यह सिद्धांत लागू हैं इस पर देश के गृह मंत्री अमित शाह को चिंतन करना होगा क्योंकि वह देश के एक ऐसे गृह मंत्री हैं

जिन्होंने सीबीआई की नाजायज प्रताड़ना को सहा है और नए कानून में भी कोई इस पर गंभीरता से चिंतन नहीं किया गया अगर किसी ने छोटा अपराध, बड़ा अपराध, घिनौना अपराध किया है तो उसे जितना उसने अपराध किया है उसको उतनी ही सजा मिलनी चाहिए जितना उसने अपराध किया है।

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वैसे तो इसका निर्णय दोनों पक्षों को सुन अदालत फैसला देती है लेकिन पुलिस अधिकारी मुकदमा दर्ज करने के बाद वही धाराएं लगाएं जो अपराध किया गया है न कि अपनी वाहवाही करवाने के लिए फर्जी जांच की जाएं फर्जी धाराएं जोड़ी जाएं और यदि कोई पुलिस अधिकारी या जांच अधिकारी ऐसा करता है तो उसे पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए

क्योंकि पुलिस अधिकारी संविधान की शपथ लेकर खाकी पहनता है और खाकी देखकर जनता का हौंसला बढ़ता है आम जनमानस खाकी का सम्मान करते हैं सभी खाकी पहने गंदे नहीं होते जैसे हाथ की पांचो ऊंगलिया भगवान ने एक समान नहीं बनाई वैसे ही खाकी पहनने वाला हर अधिकारी काली भेंड नहीं होता

लेकिन देश के गृह मंत्री अमित शाह को चाहिए कि वह देश में एक ऐसा कानून लाएं कि अगर कोई पुलिस अधिकारी चाहे वो एसपी हो, डीएसपी हो, एसएचओ हो, जांच अधिकारी हो अगर फर्जी केस दर्ज करता है किसी को सजा करवाने की मंशा से जांच करता है तो उसे सजा के साथ साथ उसकी सरकारी सेवा को भी बर्खास्त करने का कानून बने क्योंकि ऐसा करना संविधान व मानवाधिकारों का हनन है।