बारिश से हिमाचल के लोगों को कैसे बचाया जाए केंद्र सरकार करे चिंतन: मानसून ने उत्तर हरियाणा में दस्तक दे दी है और मानसून का सबसे ज्यादा असर हरियाणा और पंजाब के पड़ोसी राज्य व देवभूमि कहलाने वाले हिमाचल में हो रहा है। हिमाचल में बारिश का कहर लगातार जारी है और हिमाचल में भारी बारिश के कारण 129 सड़कें बंद हो चुकी हैं और अब तक तकरीबन 39 लोगों की मौत हो चुकी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा हुड्डा की भाभी के निधन पर सांत्वना देने पहुंचे
ऐसा नहीं बारिश ने पहली बार देवभूमि का जान माल का नुकसान किया हो इससे पहले भी बारिश नुकसान करती है लेकिन इसको लेकर राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार गंंभीर नहीं है। मानसून से कुछ दिन पहले ही सरकार व प्रशासनिक अधिकारी जागते हैं और आॅरेंज, येलो व रेड अलर्ट जारी कर दिया जाता है
जबकि मानसून से पहले सरकार इस बारे कोई मंथन नहीं करती हां यह जरूर है कि जब ताबाही हो जाती है तो केंद्र सरकार सेना भी भेजती है, विशेष पैकेज भी देती है लेकिन बात तो यह है कि विनाश हो क्यों? बारिश की वजह से सड़कें क्यों बंद हो, बारिश की वजह से बिल्डिंगें क्यों गिरे इस बात पर हिमाचल व केंद्र सरकार को सामूहिक चिंतन करना चाहिए ठीक इस दोहे की तरह ‘‘दुख में सिमरन सब करें, सुख में करे न कोय, अगर सुख में सिमरन सब करें तो दुख काहे को होय’’।
यदि बारिश से पहले मानसून से पहले और सारा साल दोनों सरकारें इस बात पर चिंतन करें कि बारिश जितनी मर्जी हो रोड बाधित न हो सके, भूस्खलन न हो सके, बिल्डिंगे न गिर सके, लोग मौत के मुंह में न जाएं इसको लेकर तो सरकार उपाय खोज सकती है क्योंकि आज केंद्र सरकार हर तरह से मजबूत है और मोदी जी भले ही भाजपा पार्टी के नेता है लेकिन वह प्रधानमंत्री पूरे देश के हैं पूरे राज्यों के हैं जिन राज्यों में गैर भाजपाई सरकारें हैं उन राज्यों की सुरक्षा व लोगों की जान माल का जिम्मा भी मोदी सरकार का है तब भी तो केंद्र सरकार मदद भेजती है जब हालात बेकाबू हो जाएं तो क्यों न ऐसे हालात पैदा कर दिए जाएं कि भारी बारिश हिमाचल में लोगों के जान माल का नुकसान न कर सकें।