क्या असीम गोयल की नजरों में मेयर भाजपा की नहीं है?: शायर ने बड़े अच्छे शब्दों में फरमाया ‘‘सच बात कहूं तो आ जाती है शामत, चुप रहकर भी दुनिया में गुजारा नहीं होता’’ और फिर खासकर प्रैस तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है उसे तो बेपरवाह होकर लिखना ही चाहिए क्योंकि वह सरकार, प्रशासन व जनता में अपनी कलम से सेतू का काम करता है और आज का संपादकीय भी भाजपा हाईकमान के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है
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चाहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हों या हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली हों या फिर हरियाणा के प्रभारी सतीश पुनिया हों उन्हें सोचना होगा कि अंबाला शहर में भाजपा की स्थिति भाजपा के जिलाध्यक्ष मंदीप राणा ने खोखली कर दी जिस भाजपा को मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने खून पसीने से सींच पूरे देश में मजबूत तो किया ही बल्कि विश्व में भी भाजपा का नाम बुलंद किया
लेकिन उस भाजपा के अंबाला जिलाध्यक्ष मंदीप राणा को भाजपा से कुछ नहीं लेना वह तो असीम गोयल की कठपुतली है और असीम गोयल ने अंबाला शहर विधानसभा की राजनीति में टीम भाजपा ने टीम असीम तैयार कर दी जिसे भाजपा से मतलब नहीं जिसे असीम से मतलब है और जब से
असीम गोयल विधानसभा चुनाव हारा तब से तो असीम गोयल ने भाजपा व टीम असीम में एक लकीर बना दी और जो लकीर को लांघेगा वह टीम असीम से बाहर हो जाएगा उसकी सुनवाई प्रशासन में बंद हो जाएगी जो अपने आप को वफादार भाजपाई असीम गोयल के सामने बताएगा वह अलग थलग पड़ जाएगा जैसे सैलजा सचदेवा व संदीप सचदेवा ईमानदारी से मेयर बनने के बाद भी पार्टी का झंडा मजबूती से उठाए घूम रहे हैं, भाजपा को जनता में मजबूत कर रहे हैं
लेकिन भाजपा की मेयर सैलजा सचदेवा के प्रोग्राम में टीम असीम का जाना बैन है चाहे उसमें भाजपा के पार्षद क्यों न हो भाजपा के मंडल अध्यक्ष क्यों न हो, जिलाध्यक्ष क्यों न हों इसलिए भाजपा हाईकमान को असीम गोयल की एक्टिविटी पर गंभीरता से नजर रखनी होगी ताकि अंबाला में भाजपा जीवित व मजबूत रहे।