अंबाला बदनाम कर देने वाली अफवाहों का शहर

अंबाला बदनाम कर देने वाली अफवाहों का शहर: अंबाला बहुत पुराना शहर है इसी अंबाला से 1857 की क्रांति की चिंगारी फूटी थी इसी अंबाला में स्थित अंग्रेजों के समय की जेल है जहां पर नत्थूराम गोडसे को फांसी हुई थी अंबाला एक हिस्टोरिकल सिटी है, अंबाला कमीश्नरी है, अंबाला में ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान है आज भी अंबाला शहर के डीएवी कॉलेज में उसका नाम डीएवी कॉलेज लाहौर के नाम से है।

मुख्यमंत्री नायब सैनी की पुलिस कर्मियों को कड़ी चेतावनी

निगम कमिश्नर और अधिकारियों ने नायब सैनी व विपुल गोयल की किरकिरी की

अंबाला शहर साइंस मिक्सी और कपड़े को लेकर जाना जाता है लेकिन पिछले तकरीबन दस साल से अंबाला की पहचान यह बातें नहीं रही अब अंबाला की पहचान एक चुगलखोर शहर की हो गई है जहां पर बदनाम कर देनी वाली अफवाहें फैलती है या यूं कहो बदनाम करने वाली अफवाहों की अंबाला शहर फैक्ट्री बन चुका है यहां पर किसी को भी बदनाम करने की अफवाह फैलाई जा सकती है और उसे आसानी से मान भी लिया जाता है और अफवाह भी ऐसी होती है जो किसी की भी इज्जत को तार तार कर सकती है।

अंबाला शहर के लोगों के बारे में कहा जाता है यह अपनों दुखों से दुखी नहीं होते इनका पड़ोसी सुखी क्यों है इससे ज्यादा दुखी होते हैं और यही कारण है कि जब मुकाबला नहीं कर सकते तो बदनामी शुरू कर दो और यही कारण है कि अंबाला शहर आज भी राजनीतिक तौर पर पिछड़ा हुआ है

इसका कोई वाली वारिश नहीं जबकि अंबाला सबसे पुराना शहर है इन सब बातों के कारण अंबाला के बारे में कहा जाता है ‘‘भूखा मरता नहीं तरक्की करता नहीं’’ क्योंकि इस शहर के लोग ही इस शहर का विकास नहीं चाहते बस सुबह से लेकर शाम तक एक दूसरे के बारे में अफवाह फैलाना एक दूसरे को कैसे बदनाम करना है? कैसे किसी को चोर ठग बताना है इसी में अंबाला शहर के लोगों का समय निकल रहा है। इसलिए अंबाला के लोग अगर चाहते है कि उनका शहर फले फुले तो उनको अपनी सोच सकारात्मक(पोजिटिव) करनी होगी क्योंकि कहावत है नीतो को मुरादें हैं।