कुछ बात ही ऐसी है अनिल विज में कि हस्ती मिटती नहीं उसकी

कुछ बात ही ऐसी है अनिल विज में कि हस्ती मिटती नहीं उसकी:1990 में पहली बार अनिल विज से छावनी में मिलना हुआ उस वक्त अंबाला छावनी में उप चुनाव चल रहा था, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज इस्तीफा देकर दिल्ली की राजनीति में चली गई और अनिल विज को पार्टी ने टिकट दिया हालांकि अनिल विज बैंक की नौकरी नहीं छोड़ना चाहते थे उनका तर्कथा कि वह पेंशन से ही गुजारा कर पाएंगे लेकिन भाजपा ने उनकी नहीं सुनी और अनिल विज 1990 में पहला चुनाव भाजपा टिकट पर अंबाला छावनी से लड़े और जीते और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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राजनीतिक सफर में कई मगरमच्छ अनिल विज को निगलना चाहते थे लेकिन जब जब अनिल विज को छेड़ा तो अनिल विज ने यह साबित किया कि जरूरत पड़ने पर मगरमच्छ को निगलने का दम रखते हैं क्योंकि वह पानी की व्हेल मछली की तरह हैं पहले छेड़ते नहीं फिर छोड़ते नहीं और 2014 में पहली बार हरियाणा सरकार में मंत्री बने और 2024 में तीसरी बार अनिल विज मंत्री हैं और हरियाणा बनने के बाद अनिल विज पहले ऐसे विधायक हैं जो लगातार तीसरी बार मंत्री हैं और यह भी गर्व की बात है कि जिस अंबाला को राजनीति में पिछड़ा हुआ जिला कहा जाता था

उस अंबाला को अनिल विज ने गृह मंत्री बनकर पूरे विश्व में पहचान दी।अनिल विज तीसरी बार मंत्री हैं साजिशों का दौर जारी हैं और अनिल विज के खिलाफ तो साजिशें ऐसी होती हैं जैसे लंका जाते हुए रास्ते में हनुमान जी के साथ साजिशें हुई लेकिन अनिल विज को इन चीजों से कोई फर्कनहीं पड़ा और वह हर गमी धुंए में उड़ा देते हैं कुछ बात तो हैं अनिल विज में जो हस्ती मिटती नहीं उसकी और उसे मिटाने वाला कहीं का नहीं रहता। कहावत है आवाज-ए-खलक नक्कारे खुदा अर्थात जनता की आवाज भगवान की आवाज होती है। और अनिल विज की ताकत, अनिल विज की संजीवनी अंबाला छावनी की जनता है यही कारण है कि अनिल विज छावनी की जनता को नहीं छोड़ सकते।