मेरे पास कोई गुर्गा नहीं है मैं जो बोलूंगा खुद बोलूंगा: वीरेश शांडिल्य

मेरे पास कोई गुर्गा नहीं है मैं जो बोलूंगा खुद बोलूंगा: वीरेश शांडिल्य: अगर असीम गोयल हिम्मत है तो प्रैस कांफ्रेंस कर या लाइव होकर वीरेश शांडिल्य पर आरोप लगा फिर पता चलेगा किसमें है कितना दम

क्या अंबाला में करप्शन करना कानूनन वैध है?

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अंबाला। (ज्योतिकण): जो दूसरों के कंधों पर जरूरतमंदों को बहला फुसलाकर अपने विरोधियों को जवाब देते हैं वह दारा दुश्मन नहीं कहला सकते क्योंकि उनके अपने कंधों में दम नहीं होता जिस तरह अंबाला शहर के पूर्व विधायक असीम गोयल गरीब जरूरतमंद चंद लोगों का सोशल मीडिया पर इस्तेमाल कर अपनी झेप मिटा रहे हैं लेकिन वीरेश शांडिल्य को इससे कोई फर्कनहीं पड़ता

असीम गोयल अपने गुर्गों से अपने पेड लोगों से इससे भी अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करवाए, असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करवाए उन्हें कोई फर्कनहीं पड़ता क्योंकि समाज मेरे और असीम गोयल के बारे में सब कुछ जानता है। वीरेश शांडिल्य ने आज असीम गोयल को चुनौती दी कि यदि वह दारा दुश्मन है और वीरेश शांडिल्य को नीचा दिखाना चाहता है डराना चाहता है पहले की तरह हमला करवाना चाहता है

तो खुल कर सामने आए वीरेश शांडिल्य के खिलाफ प्रैस कांफ्रेंस करे, सोशल मीडिया पर लाइव हो उसकी कोई खबर या उसके खिलाफ गलत बात हो तो अदालतें पड़ी हैं असीम गोयल जो भी करे खुद आगे आकर करे ताकि अंबाला शहर के लोगों को पता चले कि असीम गोयल में कितना दम है गरीब लोगों से सोशल मीडिया पर कमेंटस करवाकर असीम गोयल क्या संदेश दे रहा है समझ से बाहर है लेकिन वीरेश शांडिल्य के पास कोई गुर्गा नहीं है न 35 साल के सफर में किसी को गुर्गा बनाया जो हैं दोस्त हैं, भाई हैं, साथी हैं इसलिए जब भी बोलूंगा

असीम गोयल के खिलाफ मैं बोलूंगा न कि किसी के कंधे पर बंदूक रखकर असीम गोयल के खिलाफ ब्यान दूंगा। असीम गोयल व उसके गुर्गें परिवार के सदस्य व पार्टनर इस गलत फहमी में हैं कि उन्होंने राजनीति में 99 साल का पट्टा लिखवा लिया है यह तो वक्त की बात है कब पलट जाए। अगर असीम गोयल को अपने पैसों की, गुंडों की, गुर्गों की, अपने चमचे अधिकारियों की गलत फहमी हो गई हो तो वक्त फिल्म देख लेना उसमें लाला केदारनाथ का हस्र देख लेना और वीरेश शांडिल्य ने कहा कि असीम गोयल अपना बदला सोशल मीडिया पर भोले भाले लोगों से सरकारी नौकरी करने वाले लोगों को आगे कर क्यों ले रहा है? दोस्ती और दुश्मनी तो खुली किताब की तरह होनी चाहिए।