हरियाणा विधानसभा के स्पीकर एवं पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने केंद्र व राज्य सरकार को पत्र लिखकर नया विधानसभा बनाने की मांग की है। साथ ही कहा कि 55 साल से हरियाणा विधानसभा स्थान के अभाव झेल रही है। चंडीगढ़ प्रशासन से आधुनिक हरियाणा की विधानसभा बनाने के लिए जगह दिलवाई जाए। इसको लेकर बीते मंगलवार हरियाणा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता का पत्र मीडिया में वायरल हो रहा है। हरियाणा में आधुनिक सुविधाओं से लैस विधानसभा भवन की मांग जायज है क्योंकि पुरानी कहावत है खाओ मन भांदा, पाओ जग भांदा। अर्थात समय की जरूरत है अलग विधानसभा होना चाहिए। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता क्या कांग्रेस पार्टी की सरकार से मांग कर रहे हैं। जिन लोगों को उन्होेंने पत्र लिखा वह भाजपा से जुड़े लोग हैं स्पीकर लोकसभा में भाजपा का है चंडीगढ़ में भाजपा सरकार है भाजपा की सांसद है। केंद्र में भाजपा की सरकार है तो फिर पत्र लिखकर मीडिया की सुर्खियों में आने की जरूरत क्यों पड़ी। अगर ज्ञानचंद गुप्ता दिल आत्मा से चाहते हैं कि चंडीगढ़ में नया विधानसभा हरियाणा का बने तो उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं।
वह जाकर सीधे तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बोल सकते हैं। पत्र लिखने का मतलब तो सीधे तौर पर यह है कि उनकी चल नहीं रही और सिर्फ मीडिया में कवरेज लेने के लिए केंद्र सरकार व स्पीकर लोकसभा को लिखे पत्र की प्रतियां जारी कर दी। जबकि हरियाणा का स्पीकर भाजपा से है और केंद्र में भी भाजपा सरकार है। पत्र लिखने का ड्रामा क्यों किया गया समझ से बाहर है। यदि ज्ञानचंद गुप्ता की नहीं चल रही और वो हाऊस के सदस्यों पर यह दबाव बनाना चाहते हैं कि वह अलग विधानसभा बनाने की मुहिम छेड़े हुए हैं तो अलग बात है। अन्यथा हरियाणा, चंडीगढ़ केंद्र में भाजपा ही शासन कर रही है ऐसे में हरियाणा के लिए विधानसभा के लिए जगह मांगने के लिए पत्र लिखने की बात समझ से परे है जब मोदी देश की संसद को बदलकर नई बना सकते हैं तो हरियाणा विधानसभा को बड़ा बनाना या उसके लिए जगह दिलवाने के लिए ज्ञानचंद गुप्ता को किसी पत्र की जरूरत नहीं है। दिल्ली जाएं मोदी जी को मिले और जगह अलॉट करवा लें और काम शुरू करवा लें और फिर प्रैस कान्फ्रैस करें। इस बात का लोहा हाऊस के सारे सदस्य मानेंगे। केंद्र सरकार को हरियाणा विधानसभा के लिए जगह के लिए पत्र हुड्डा लिखें, कुलदीप बिश्नौई लिखे या अभय चौटाला लिखे तो समझ आता है।