ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई के बाद इनैलो भाजपा व जजपा का विकल्प बन सकती है!
अम्बाला (सम्पादकीय) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनैलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला को जेबीटी घोटाले में 10 साल की सजा हुई थी और 9 साल छह महीने पूरे होने के बाद ओम प्रकाश चौटाला बीते बुधवार तिहाड़ जेल से रिहा हुए। उनके बेटे अभय सिंह चौटाला उन्हें विशाल काफिले में लेकर दिल्ली उनके निवास पर पहुंचे। ओम प्रकाश चौटाला जब पहली बार पैरोल पर आए थे तो उन्होेंने शान से कहा था कि लोगों के हितों के लिए, हकों के लिए उन्हें 100 बार भी जेल जाना पड़े तो वह जेल जाने को तैयार हैं। ओम प्रकाश चौटाला चौटाला की पृष्ठभूमि देखे तो उनका जीवन संर्घषशील रहा है। तिहाड़ जेल में भी उन्होंने स्वाभीमान को कमजोर नहीं होने दिया और जब भी पैरोल पर आए हमेशा वर्कर को मजबूत करके गए और भले ही इनैलो जींद उपचुनाव हार गई हो उस वक्त चौटाला पैरोल पर थे। 85 के होने के बाद भी उन्होेंने इनैलो वर्करों में 25 साल की उम्र जैसा जज्बा डाला और एक बार तो कांग्रेस, भाजपा के पसीने छुड़वा दिए। अब चौटाला रिहा हो चुके हैं सोशल मीडिया पर उनकी रिहाई सिर चढ़के बोल रही है। इनैलो वर्कर उनकी 30 साल, 40 साल पुरानी संघर्ष की फोटोएं डाल रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि इनैलो का वर्कर जो अपने आप को कमजोर समझने लग गया था उसमें अब ऊर्जा आ गई हालांकि इनैलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला ने पार्टी वर्कर को एक मोतियोंं की माला की तरह पिरोए रखा। और जो वर्कर उनसे डरता था इन साढ़े 9 सालों में उन्हें यह पता चला कि अभय सिंह जैसा दोस्त नहीं मिल सकता, नेता नहीं मिल सकता उनके नजदीकी यह कहते सुने गए कि बिल्लू के बारे में हम गलत सोचते थे उसने तो ना केवल वर्कर को दिल से लगाकर रखा बल्कि ओम प्रकाश चौटाला की गैर मौजूदगी में कोई ऐसा वर्कर होगा जिसका दुख सुख छोड़ दिया हो।
यही नहीं सात महीने से चल रहे किसान आंदोलन में भी अभय सिंह चौटाला ने देवी लाल की सोच पर पहरा देते हुए किसानों के हक में अपनी विधानसभा सदस्यता को त्याग दिया। आम आदमी तो पंच के पद से इस्तीफा ना दे। अब तो आम आदमी कहने लग गया है कि ओम प्रकाश चौटाला की कमी अभय सिंह ने पूरी कर दी। लेकिन ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई के बाद तो मुहावरा फिट बैठेगा ‘कि बहु तो पहले ही मान नहीं थी, अब गोद में छोरा ले रही है।’ अर्थात अभय सिंह चौटाला ने ही भाजपा, जजपा, कांग्रेस के पसीने छुड़वाए हुए थे अब तो इनैलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला रिहा हो गए हैं। और अब हरियाणा की राजनीतिक फिजा बदलेगी और ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई के बाद इनैलो भाजपा व जजपा सहित कांग्रेस का विकल्प बन सकती है।
क्योंकि किसान आंदोलन के कारण भाजपा व जजपा की छवि हरियाणा में जीरो हो चुकी है और कांग्रेस आपस में लड़ रही है। ऐसे में ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई के बाद आने वाले समय में इनैलो इन तीनों पार्टियों का विकल्प बनकर उभर सकती है। क्योंकि यह बात तो निश्चित है कि ओम प्रकाश चौटाला को जेल की सलाखों के पीछे एक सुनियोजित साजिश के तहत भेजा गया था लेकिन अब हरियाणा का जाट फिर एकतरफा ओम प्रकाश चौटाला के साथ आ सकता है। फिल्हाल ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई के बाद इनैलो का और मजबूत होना तय है और वहीं जजपा की भी मुश्किलें चौटाला बढ़ा सकते हैं।