जेल अधीक्षक सतविंदर गोदारा पर एफआईआर क्यों नहीं?

जेल अधीक्षक सतविंदर गोदारा पर एफआईआर क्यों नहीं?: हम आह भी भर दें तो हो जाते हैं बदनाम वो कत्ल भी कर दें तो चर्चा नहीं होती। और दूसरी कहावत है ‘‘माड़े की जनानी भाभी सबकी’’ कोई डीसी की वाइफ को भाभी बोल कर दिखाए उसको कहा जाता है मैडम साहब कहां हैं।

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क्या इस देश का कानून अमीर, गरीब, छोटा, बड़ा देखकर काम करता है या फिर इस देश का कानून अपराध किसने किया यह नहीं देखता वह बड़ा है, छोटा है कानून के मुताबिक काम करता है लेकिन ऐसा लगता नहीं।

कानून भी पिक एंड चूज के आधार पर काम कर रहा है। अगर कोई बड़ा मगरमच्छ या व्हेल मछली काबू आ गई तो उसे बचाने के लिए सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है और कमजोर आदमी को फंसाया जाता है।

क्या देश का संविधान कमजोर करने वालों के खिलाफ मुहिम चलाने की जरूरत नहीं? अंबाला शहर में 1940 की सेंट्रल जेल है जिसका अधीक्षक वर्तमान में सतविंदर गोदारा है उसकी जेल से 8 अगस्त 2025 को एक कैदी फरार हो जाता है

लेकिन जेल अधीक्षक सिर्फएक वार्डन और हेड वार्डन के खिलाफ कार्रवाई कर बात को खत्म कर देंते हैं और बलदेव नगर थाना पुलिस एफआईआर दर्ज देती है लेकिन पुलिस 120बी में जेल अधीक्षक या जेल के अन्य बड़े अधिकारी जिनमें डिप्टी सुपरीडेंट सिक्योरिटी व डिप्टी सुपरीडेंट प्रशासन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती

जबकि एफआईआर भी जेल अधीक्षक के खिलाफ होनी चाहिए थी, सस्पेंड भी अंबाला जेल का अधीक्षक सतविंदर गोदारा होना चाहिए था लेकिन रगड़ दिए गए वार्डन और हेड वार्डन। इसका मतलब छोटे आदमी को रगड़कर अपनी स्किन सेफ करना कहां की इंसानियत है? डीजीपी जेल आलोक राय को इस पर गंभीर संज्ञान लेना चाहिए।