वाई पूरण कुमार को इंसाफ देने में केंद्र सरकार देरी क्यों कर रही है? 6 अक्तूबर को हरियाणा के आईपीएस व एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी और मरने से पहले 9 पेज का सुसाइड नोट छोड़ गए थे।
अनिल विज एडीजीपी वाई पूरण कुमार को श्रद्धांजलि देने पहुंचे
शिक्षित युवा के संस्कारों को बेलगाम होते देखा तो जीने की इच्छा खत्म हुई
वाई पूरण कुमार की पत्नी अवनीत पी कुमार मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ शिष्टमंडल के साथ जापान दौरे पर थी। दुखद सूचना के बाद वाई पूरण कुमार की पत्नी बीच सरकारी दौरा छोड़ भारत लौटी और उसके बाद हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर एसपी रोहतक सहित कई अधिकारियों के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी।
हालांकि मृतक वाई पूरण कुमार की पत्नी की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली लेकिन उस एफआईआर में बहुत कमियां मृतक की पत्नी बता रही है आरोप लगा रही है कि पुलिस आरोपियों को बचा रही है।
आज 5 दिन हो गए मृतक एडीजीपी जिनकी साफ सुथरी छवि है उन्हें इंसाफ नहीं मिला और आज तक पोस्टमार्डम तक नहीं हुआ लेकिन केंद्र सरकार इसको लेकर खामोश क्यों? क्यों जनता में केंद्र व हरियाणा सरकार अपनी किरकिरी कर रही है।
संविधान व कानून सबके लिए बराबर है। अगर कोई कानून हाथ में लेगा चाहे वह छोटा है, बड़ा है, गरीब है, अमीर है, चपरासी है, अधिकारी है, राजा है, रंक है जो कानून हाथ में लेगा वो जेल जाएगा चाहे वह मंत्री है या संतरी है।
क्यों केंद्र व राज्य सरकार दलितोें को अपना विरोधी बता रही है। गृह मंत्री अमित शाह को तुरंत इस पर संज्ञान लेना चाहिए और दलित आईपीएस व उनकी दलित आईएएस पत्नी को चंडीगढ़ के गृह सचिव को दो टूक आदेश देकर इंसाफ दिलाने के आदेश देने चाहिए अन्यथा देश में यह संदेश जाएगा कि जब एक दलित आईपीएस अधिकारी को इंसाफ नहीं तो आम आदमी को क्या इंसाफ मिलेगा।