अच्छी पोस्टिंग के लिए कुछ पुलिस अधिकारी खाकी को क्यों बदनाम कर रहे हैं?: खाकी जो एक शेर की खाल कहलाई जाती है जिसको देख बड़े बड़े अपराधी कांप जाते हैं। खाकी पहना व्यक्ति चलता फिरता कानून होता है। खाकी देखते ही जनता भी हौंसले में आ जाती है और खाकी जब पहनी जाती है तो खाकी पहनने से पहले संविधान की शपथ ली जाती है कि वह जो भी करेगा ईमानदारी से करेगा, भेदभाव के बिना करेगा, संविधान का सम्मान करेगा, एसएचओ बलदेव नगर के क्षेत्र में हुडदंग: पार्षद मंत्री की गाड़ी का शीशा तोड़ा
संविधान के विपरीत नहीं चलेगा, कानून सर्वोपरि होगा लेकिन आज वर्तमान में परिस्थितियां बदल चुकी है और चंद पुलिस अधिकारी स्थानीय स्तर पर अच्छी पोस्टिंग लेने के लिए नेताओं के इर्द गिर्द घुमते नजर आते हैं और उनकी चापलूसी कर किसी थाने में एसएचओ लगकर या किसी चौकी का इंचार्ज लगकर अपने आका नेता की सारी गलत बातों को मानने के लिए बाध्य होते हैं क्योंकि इसलिए नेता उसको पोस्टिंग दिलवाता है कि जो वह आदेश देगा वह उसे मानने होंगे चाहे वह गलत हो या ठीक।
जबकि खाकी पहने व्यक्ति को इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि उसकी पोस्टिंग कहां हो रही है? क्यों हो रही है? उसे तो जहां जाना है वहां जाकर जनता को न्याय देने की सोच रखनी चाहिए, कानून व्यवस्था मजबूत करने की सोच रखनी चाहिए लेकिन कुछ स्वार्थी पुलिस अधिकारी अपना स्वाभिमान बेच नेताओं के तलवे चाट मनमर्जी की पोस्टिंग लेकर नेता के इशारे पर उसके विरोधियों का चुन चुन कर ईलाज करते हैं
ऐसे कई उदाहरण हरियाणा में होंगे लेकिन अंबाला शहर तो इस वक्त अव्वल है और अंबाला शहर के कुछ थानों में सब इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी इंस्पेक्टर लगे हुए हैं जो कि डीजीपी के आदेशों की अवहेलना है सिर्फ नेताओं की चमचागिरी कर कई पुलिस अधिकारियों को थाना प्रभारी व चौकी प्रभारी पद मिले हुए हैं जो कानून व संविधान को अनदेखा कर नेता की कठपुतली बने हुए हैं। हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर को इस पर गंभीर संज्ञान लेना चाहिए।