रितेश गोयल जो पूर्व विधायक असीम गोयल का भाई है और हर जगह उसका रोल अलग है जहां भाई बनना है वहां भाई बन जाता है, जहां प्रतिनिधि बनना है वहां प्रतिनिधि बनना है वहां प्रतिनिधि बन जाता है, जहां कोषाध्यक्ष बनना है वहां कोषाध्यक्ष बन जाता है और 2014 से 2024 तक असीम गोयल से ज्यादा चर्चा रितेश गोयल की थी अधिकारी असीम का कहना मोड़ सकते थे
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लेकिन रितेश गोयल प्रशासनिक अधिकारियों पर भारी पड़ रहा था असीम गोयल के छोटे से छोटे काम में रितेश गोयल का हस्ताक्षेप होता था और जो वह चाहता था वही काम होता था। भाजपा जिलाध्यक्ष की 2014 से 2024 तक नहीं चली कार्यकर्ताओं को रितेश गोयल ने जीरो बनाकर रखा बस चंद लोगों की चली जो रितेश गोयल के चमचे थे, रितेश गोयल के एसमैन थे वह भाजपा के नहीं बल्कि रितेश गोयल के एसमैन थे और हैं और जिस भाजपा को पूरे देश में मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने न केवल खून पसीने से मजबूत किया
बल्कि आज मोदी शाह की मेहनत की बदौलत भाजपा अधिकतर राज्यों में सत्ता में है लेकिन अंबाला शहर में भाजपा को बिखेरने में व गुटबाजी पैदा करने में भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में भेदभाव पैदा करने में असीम गोयल व उसके भाई रितेश गोयल की बहुत बड़ी भूमिका है और आज भाजपा का जिलाध्यक्ष मंदीप राणा ने अपने पद की गरिमा को ही खो दिया
और असीम गोयल और रितेश गोयल की गठपुतली बनकर भाजपा जिलाध्यक्ष चल रहा है अगर अंबाला शहर में भाजपा की सांसद व खुद असीम गोयल हारे उसका कारण भाजपा अंबाला में कमजोर नहीं है बल्कि असीम गोयल, रितेश गोयल व टीम असीम ने अंबाला में तानाशाही कर भाजपा को आसमान से जमीन पर धकेला है और जिस तरह देश प्रदेश चैनल पर रितेश गोयल ने 25 जुलाई को मेयर के खिलाफ ब्यान दिया इससे यह साबित हो रहा है कि अंबाला में भाजपा मोहन लाल बडौली या मंदीप राणा नहीं चला रहे बल्कि अंबाला की भाजपा असीम और रितेश गोयल के आगे घुटने टेक चुकी है इससे पर भाजपा को तुरंत चिंतन करना चाहिए।