सुप्रीम कोर्ट का फैसला सोशल मीडिया पर बढ़ती मनमर्जी पर कड़ा प्रहार

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सोशल मीडिया पर बढ़ती मनमर्जी पर कड़ा प्रहार: सुप्रीम कोर्ट को कुछ सोच कर ही संविधान ने अपना सुरक्षा कवच बनाया यही कारण है कि जब भी देश के संविधान पर कोई आंच आती है तो सुप्रीम कोर्ट कोई न कोई अहम फैसला देता है जो जनता को आगाह करता है और ऐसा ही फैसला सुप्रीम कोर्ट ने गत दिनों अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर इंटरनेट मीडिया में कुछ भी पोस्ट नहीं कर सकते यह फैसला उन लोगों पर एक कड़ा प्रहार है जो सोशल मीडिया का दुरूपयोग करते हैं

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और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर किसी को भी बदनाम करने की ही साजिश नहीं रचते बल्कि देश में धार्मिक भावनाएं भड़काने की भी साजिशें रची जाती हैं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया और निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ऐसी ताकतों पर अंकुश लगेगा जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरूपयोग करते हैं।

आज सोशल मीडिया ने समाज में गंदगी भरा वातावरण बना दिया है अभिव्यक्ति के आजादी के नाम पर किसी को किसी के विरूद्ध लिखने का अधिकार नहीं है सोशल मीडिया का मतलब यह नहीं कि किसी की समाज में इज्जत का चीर हरण किया जाएगा। सोशल मीडिया का मतलब यह नहीं कि धर्म के नाम पर दंगे फैलाने का काम करेंगे।

वैसे तो सोशल मीडिया को खुद ही इस पर जागृत होना चाहिए और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों के लिए लक्ष्मण रेखा का प्रावधान होना चाहिए ताकि सोशल मीडिया को कोई भी व्यक्ति टूल बनाकर इस्तेमाल न कर सके।

निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर जो फैसला दिया यह समाज के लिए मील पत्थर साबित होगा और उन लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कड़ा संदेश होगा जो लोग सोशल मीडिया का दुरूपयोग कर भाईचारे के साथ साथ भारतीय संस्कृति को भी तार तार कर रहे हैं। जो लोग सोशल मीडिया पर अश्लील या ऐसी पोस्टें डाल रहे हैं जो समाज को खंडित कर रही हो ऐसे लोगों के खिलाफ जन आंदोलन तैयार करना चाहिए।