मेरे ही तराशे हुए पत्थर आज मंदिर में भगवान बने बैठे हैं: देख तेरे संसार की कीमत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान। आज रिश्ते नाम के हैं खून पानी हो चुका है शुकराना नाम की एहसान नाम की चीज खत्म है बस जब तक किसी से काम है उसकी चमचागिरी करो और जब काम खत्म हो जाए उससे बात करना भी फजूल लगता है।
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जबकि भगवान से हम कुछ मांगते हैं कोई मन्नत मांगते हैं वह पूरी होने पर हम भगवान का भी शुकराना करते हैं और असली भगवान तो नर में बसता है भगवान किसने देखा जो आपके बुरे समय में काम आया जो जरूरत पड़ने पर काम आया वो एहसान हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
इस हिन्दुस्तान में अंबाला से लेकर उत्तर भारत में हजारों ऐसे लोग होंगे जिन्होनें उनसे हर तरह के फायदे उठाए, अपने काम सीधे किए यही नहीं ऐसे ऐसे राजनेता जिनको टिकट दिलवाने में जीत दिलवाने में सरकार में पद दिलवाने में मेरी अहम भूमिका रही
वह व्यक्ति भी मुझे पीठ में छूरा घोंप छोड़ गया अर्थात ‘‘मेरे ही तराशे हुए पत्थर आज मंदिर में भगवान बने बैठे हैं’’ इसलिए भगवान से नेचर से डरना चाहिए अगर किसी व्यक्ति ने आपकी जरूरत के वक्त आपकी मदद की तो आप उस मदद को भले ही न लौटा पाओ लेकिन उस व्यक्ति का एहसान और उसके स्वभिमान का सम्मान हमेशा करना चाहिए।
हमें लगता है भगवान हमें नहीं देख रहा है लेकिन एक तीसरी आंख है जिसे कुदरत कहा जाता है, भगवान कहा जाता है आसमान वाला कहा जाता है। उसका खौफ हमें हर वक्त होना चाहिए उसका डर हमें होना चाहिए ताकि हम समाज में एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम आए अगर सौ मे से नब्बे लोग एहसान फरामोश हो गए तो कौन किसी की बुरे वक्त में या जरूरत के वक्त में मदद करेगा इसलिए हमें इंसानियत कभी नहीं मारनी चाहिए।