वीरेश शांडिल्य की कलम से स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
केंद्र व राज्य सरकार बतायें क्या भारत वास्तव में आजाद हो चुका है? आज आजादी की 79वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर सबसे पहले उन शहीदों का नमन जिनकी बदौलत हम आजादी की हवा में सांस ले रहे है और उन शूरवीरों की कोख को प्रणाम जिन्होंने आजादी के लिए फाँसी के फंदों को चूमा है।
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हम भारतवासियों को भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, करतार सराभा, मदन लाल ढींगरा, खुदी राम बोस, अशफाक उल्ला खान जिन्होंने फाँसी के फंदों पर चढ़कर यह संदेश दिया कि उनके लिए भारत माता की रक्षा से बड़ा कोई ध्येय नहीं है। आज जिस आजादी पर्व को पूरा भारत मना रहा है यह वही आजादी है
जिस आजादी का परवाना सुभाष चंद्र बोस था जिसने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ना केवल अपनी ही सेना आजाद हिन्द फौज खड़ी कर दी बल्कि ऐसा नारा दे दिया जो आज आजादी के 79 वर्ष बाद भी क्रांतिकारियों के अंदर जुनून भर देता है। बोस का नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा। हमे नहीं भूलना चाहिए कि चंद्रशेखर आजाद की अंग्रेजों हुकूमत के हाथों शहीदी, हमे नहीं भूलनी चाहिए लाला लाजपत राय के सर पर पड़ी लाठियों की कहानी। देश आजाद नर्म दल वाले ना कभी करवा पाते ना उनसे कभी होता।
ऐसा नहीं कि मैं नरम दल वालों के खिलाफ हूँ लेकिन मेर पिता जो विद्वान लेखक थे और डॉक्टर थे स्व. राममूर्ति जी कहते थे लोहा लोहे को काटता है। देश के तमाम नर्म दल वालों को यह बात आज भी समझ लेनी चाहिए की डंडे से गोली का जवाब नहीं दिया जा सकता। आज आजादी की 79वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर मन भावुक है दुखी है और लाल किले से बोलना चाहता हूँ संसद में खड़ा होकर बोलना चाहता हूँ
इंडिया गेट पर खड़ा होकर बोलना चाहता हू प्रदेश की विधानसभा, लोकसभा राज्यसभा में बोलना चाहता हूँ कि केंद्र व राज्य सरकारें बतायें कि क्या भारत आजाद है? अगर भारत आजाद है और आजाद भारत में संविधान लागू है और आजाद भारत में कानून का राज है और राम राज है तो फिर लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज क्यो होते है? लोगों पर अत्याचार क्यो होते है? लोगों को फर्जी केसों में जेल में क्यो डाला जाता है? क्यो फेक एनकाउंटर होते है? क्यो निर्दोष लोगों को जेलो में बंद रखा जाता है? इन स्वालों का जवाब केंद्र व राज्य सरकारों को देना होगा।
मेरे पिता डॉ. रामूमूर्ति जी ने लिखा था जिसकी लाइने इस लेख में लिख रहा हूँ ‘स्वर्ग से गांधी और भगत सिंह पूछ रहे है उत्तर दो, उधम सिंह, अशफाक व बिस्मिल पूछ रहे है उत्तर दो, आजादी की कसमें खाकर हमने पहनी थी खड़ी, लहू के दरिया से होकर हम लाए थे ये आजादी, पर तुमने वोटों की खातिर कत्ल किया आजादी की, निदोर्षों का लहू बहाना काम हो गया खाड़ी का’ कविता और भी लंबी है और आगे और भी कड़वी है
बहुतों को मिर्ची लग जाएगी पर मुझे कोई रास्ता दिखाओ कोई राह डालो कि मैं अपनी आजादी को कहाँ खोजू जिस आजादी को पाने के लिए भगत सिंह, ऊधम सिंह, बिस्मिल जैसे शूरवीरों ने फाँसी के फंदे चूमे। कब इस देश में आजादो की खुशबू फैलेगी , कब यह देश सही मायनों में आजाद होगा कब सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग खत्म होगा।
कब पुलिस एफआईआर और उसके बाद अपनी जीमनी व खाकी का दुरुपयोग बंद करेगी। यह केंद्र व राज्य सरकारो को बताना होगा। कब इलाज के अभाव से लोग मारने बंद होगे? कब देश से अनपढ़ता खत्म होगी। फुटपाथ पर निर्दोष लोग मारने कब बंद होंगे? कब देश का गरीब तबका रात को भूखा सोना बंद होगा। केंद्र व राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि देश आजाद हो चुका है इसलिए हर हाथ को काम मिलेगा हर पेट को रोटी मिलेगी किसी पर झूठो एफआईआर नहीं होगी किसी को झूठी जांच कर जेल नहीं भेजा जाएगा
और खाने में मिलावट नहीं होगी और कानून ईमानदारी से अपना काम करेगा और संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले अधिकारी सेवामुक्त कर घर भेजे जाएंगे फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश आजाद होना शुरू हो गया है। आज तो राजनीति का मतलब कोड़ी से करोड़ी बनना है ना कि नर सेवा नारायण सेवा है। 10-20 करोड़ खर्च विधायक बनते है और फिर 200-300 करोड़ कमाते है और सत्ता पर कब्जा कर लेते है। ऐसे राजनेताओं को जब देश की जनता नकारना शुरू कर देगी उस दिन सही मायनों में देश को आजादी मिल जाएगी और हम आजाद हवा में खुली सांस ले सकेंगे।