सोशल मीडिया किसी को नीचा दिखाने का प्लेटफार्म नहीं

सोशल मीडिया किसी को भी नीचा दिखाने का प्लेटफार्म नहीं है न ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म किसी को धमकाने का माध्यम है न अपनी भड़ास निकालने का माध्यम है न किसी को डिफेम करने का माध्यम है सोशल मीडिया एक अपनी पॉजिटिव सोच को समाज के उन लोगों तक पहुंचाना है जो सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं।

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लेकिन वर्तमान में सोशल मीडिया का इस्तेमाल दूसरों को नीचा दिखाने गाली गलौच करने लोगों को धमकाने तक सीमित रह गया जिससे समाज में एक अजीब तरह का वातावरण बन चुका है और लोग इस सुविधा का इस्तेमाल जनहित में न कर अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए कर रहे हैं अधिकतर सोशल मीडिया पर लोग संविधान का कानून का उल्लंघन कर रहे हैं

देश का संविधान हमें बोलने की आजादी देता है अपनी बात कहने की इजाजत देता है अपना विरोध इजहार करने की इजाजत देता है लेकिन वह भी लक्ष्मण रेखा में न कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल किसी को नीचा दिखाने के लिए किया जाए। भारत के गृह मंत्री अमित शाह को इस पर चिंतन करना चाहिए और सोशल मीडिया पर जो गंद डलना शुरू हो गया है

किसी को भी नीचा दिखाने का प्रचलन हो गया है किसी को जलील करते हुए किसी को गाली देते हुए नीचा दिखाने का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करना आम बात हो गई है ऐसे में देश के गृह मंत्री अमित शाह को फेसबुक को कानून के दायरे में लाना चाहिए गृह मंत्रालय की तरफ से गाइड लाइन जारी होनी चाहिए और सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ अश्लीलता फैलाना, गाली गलौच करना, किसी को नीचा दिखाना आपराधिक श्रेणी में आना चाहिए, गैर जमानती होना चाहिए कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए तब जाकर सोशल मीडिया पर कुछ चंद गंदी पानी की मछलियों का ईलाज होगा जो समाज में असुरक्षा का माहौल फैला रहे हैं।