निर्मल सिंह के सफल प्रयासों से बाढ़ रोकने के लिए 18 से अधिक योजनाएं लागू: कालांवाली। (ज्योतिकण): किसी नगर की समुचित पहचान उसकी सड़कों, भवनों और बाजारों से नहीं, अपितु उसकी मूलभूत सार्वजनिक व्यवस्थाओं से होती है—और उन्हीं में से एक है वर्षा जल की सम्यक निकासी।

जब नगरों की गलियाँ जलकुंड बन जाती हैं, जब नागरिक जलराशि में डूबे अपने दैनिक जीवन की साधारण गतिविधियाँ भी पूर्ण नहीं कर पाते—तब प्रश्न केवल तकनीकी नहीं, नैतिक और सामाजिक हो जाता है। इसी पीड़ा की मुखर अभिव्यक्ति अंबाला शहर के विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी निर्मल सिंह ने हरियाणा विधानसभा के सभामंच पर की।
उन्होंने मानसून की त्रासदी में डूबते नागरिक जीवन का वह स्वर बुलंद किया, जिसे वर्षों से अनसुना किया जा रहा था। निर्मल सिंह ने विधानसभा में स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अंबाला शहर प्रत्येक बरसात में तालाब का रूप ले लेता है। दशमेश मार्केट, जडोत रोड, जलबेड़ा रोड, गणेश विहार, नसीरपुर जैसे मोहल्ले प्रतिवर्ष जलप्रलय के साक्षी बनते हैं।
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या इस समस्या को स्थायी रूप से हल करने हेतु कोई समग्र योजना प्रस्तावित है अथवा नागरिकों को वर्ष-दर-वर्ष उसी संताप से जूझते रहने के लिए छोड़ दिया गया है। यह प्रश्न केवल एक जनप्रतिनिधि की औपचारिक जिज्ञासा नहीं थी, बल्कि नागरिक अस्मिता के संरक्षण की पुकार थी।
इस संवेदनशील मुद्दे की प्रतिध्वनि अब प्रशासनिक गलियारों तक पहुँच चुकी है। जनस्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग द्वारा चौधरी निर्मल सिंह को दी गई जानकारी के अनुसार, अंबाला शहर में मौजूदा समय में बनूरी नाका,गणेश विहार, नसीरपुर और साउथर्न डिस्पोजल पर कुल चार बरसाती जल डिस्पोजल कार्यरत हैं।
इनके अतिरिक्त नगर में 18 मोबाइल डीजल इंजन सेट उपलब्ध हैं, जिनकी सम्मिलित क्षमता 167 हॉर्सपावर है और जो वर्षा के समय तत्काल जल निकासी में सहायक सिद्ध होते हैं। किन्तु यह आधारभूत व्यवस्थाएं नगर की समस्त आवश्यकताओं को पूरा करने में अक्षम रही हैं, जिसके समाधान स्वरूप चार नई स्थायी जल निकासी इकाइयों की स्थापना की योजना प्रस्तावित की गई है।
यह इकाइयाँ दशमेश मार्केट, जडोत रोड, जलबेड़ा रोड और साउथर्न डिस्पोजल क्षेत्रों में स्थापित होंगी। इनकी सम्मिलित जल वहन क्षमता 74 क्यूसेक निर्धारित की गई है और इस समूचे परियोजना पर 18.27 करोड़ रूपए की लागत अनुमानित है। विभाग का लक्ष्य है कि यह कार्य 30 मार्च 2027 तक पूर्ण कर दिया जाएगा।
इसके पूर्ण होते ही अंबाला शहर को जलभराव की समस्या से स्थायी राहत मिलने की संभावना है।
वहीं, ह्यड्रेनेज आॅफ स्टॉर्म वाटर कंसल्टेंसी फॉर अंबाला सिटीह्ण शीर्षक से ₹2 करोड़ की लागत वाला एक परामर्शी प्रोजेक्ट भी प्रक्रियाधीन है, जिसकी फाइल आगामी जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड की बैठक में प्रस्तुत की जाएगी। यह परामर्श केवल योजना निर्माण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह तकनीकी विशेषज्ञता को सामाजिक सरोकार से जोड़कर एक व्यावहारिक और सुदृढ़ ढाँचा सुनिश्चित करेगा।
चौधरी निर्मल सिंह ने इस प्रगति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह केवल किसी प्रश्न का उत्तर नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधित्व की सार्थकता का प्रमाण है। जनता की समस्याएं ही उसकी शक्ति होती हैं और यदि कोई जनप्रतिनिधि अपने नगरवासियों की पीड़ा को अपना धर्म समझे, तो व्यवस्था भी अंतत: झुकती है, सुनती है और उत्तरदायी बनती है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंबाला शहर की जनता के जीवन को जलमुक्त और सुरक्षित बनाना उनका नैतिक,सामाजिक और संवैधानिक उत्तरदायित्व है, जिसे वे अंत तक निभाते रहेंगे।
यह समग्र प्रयास न केवल एक समस्या का समाधान है, बल्कि उस परिपक्व लोकतांत्रिक चेतना का द्योतक है जहाँ प्रश्न पूछना भी एक पुण्यकर्म है—और उत्तर प्राप्त करना एक सामूहिक विजय।