इस कलयुग में माता पिता राम लक्ष्मण भरत जैसे बेटों की उम्मीद न करें: अगर भगवान राम अपने पिता दशरथ को यह कह देते मैं वनवास नहीं जाता मैं आपके आदेशों को पिता जी नहीं मानता लेकिन उन्होंने राम बनना था तभी वह 14 वर्ष के लिए वनवास गए और आज मर्यादा पुरूषोत्तम हैं और सतयुग के राम ने तो रावण का वध कर अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह कहा कि रावण के सिर की तरफ नहीं बल्कि रावण के चरणों की तरफ खड़े होकर शिक्षा लो
शिक्षित युवा के संस्कारों को बेलगाम होते देखा तो जीने की इच्छा खत्म हुई
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कहते हैं बोलने से पहले तोलना चाहिए ऐसा बुजुर्ग कहते हैं। ऐसा हमारे धार्मिक ग्रंथ व गुरूजन भी बताते हैं और शब्दों की मर्यादा ऐसी होती है वह दिल में भी उतार देते हैं और दिल से भी उतार देते हैं इसलिए शब्दों को सोचकर, समझकर, चिंतन कर इस्तेमाल करना चाहिए।
पुरानी कहावत यह भी है कि डंडे का जख्म भर सकता है लेकिन कड़वे शब्दों का जख्म रहती दुनिया तक या रहती जिंदगी तक भूला नहीं जा सकता। खासकर वो अपशब्द, वो अपवित्र शब्द, असंसदीय शब्द जिनका इस्तेमाल दुश्मन के लिए भी नहीं करना चाहिए।
अगर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल पुत्र पिता के लिए करे तो उस पिता के पास एक अंतिम रास्ता आत्महत्या होता है खासकर अगर पिता किसी गलत राह पर भी हो उसके बावजूद भी पुत्र को इस तरह का कोई अधिकार नहीं कि वह अपने पिता के लिए अपशब्दों का गाली गलौच का यहां तक अपने पिता के परिवार को भी गाली देकर जो बच्चा संबोधन देगा वो अपना रिश्ता जीते जी अपने पिता के साथ खत्म कर चुका होता है।
आज कलयुग है यहां बेटा बाप की हत्या कर रहा है। आज कलयुग है बेटा बाप को गाली दे रहा है, बेटा बाप को नीचा दिखा रहा है इस कलयुग में अगर कोई मां बाप राम, लक्ष्मण और भरत जैसी औलाद चाहता है उसे नहीं मिल सकती।
राम ने तो अपने पिता दशरथ के वचन को पूरा करने के लिए 14 वर्ष वनवास काटा और अपने पिता का सम्मान विश्व में ऊंचा किया और आज कलयुग के बच्चे दूध के दांत टूटते नहीं अपने मां बाप को कहते हैं कि तूमने हमें दिया क्या है, तुमने हमारे लिए किया क्या है? अगर जन्म दिया है तो मां बाप ही पैरों पर खड़ा करेंगे लेकिन आज कलयुग में मां बाप पैरों पर खड़ा कर देते हैं
लेकिन बच्चे कहते हुए दो मिनट लगाते हैं कि हम यहां तक पहुंचे हैं अपनी मेहनत से पहुंचे हैं इसलिए इस लेख के माध्यम से मैं पूरे देश के माता पिताओं से अपील करता हूं कि वह उतना काम करें जिसमें आपका घर चले ठीक इस दोहे कि तरह ‘‘ऐ प्रभु इतना दीजिए जामा कुटुंब समाए, मैं भूखा न रहूं मेरा साधु भी भूखा न जाए’’।
इसलिए बच्चों की जिम्मेवारी 18 साल तक की उम्र तक जरूर निभाएं और उसके बाद उन्हें संघर्ष करना सिखाए क्योंकि आज के बच्चों में अगर राम, लक्ष्मण, भरत ढूंढने का प्रयास करोगे तो आंखों से नीर नहीं खून के आंसू निकलेंगे।
इसलिए अगर किसी के बच्चे अपने मां बाप को जीते जी नहीं अगर मरने के बाद भी गाली दें तो ऐसे बच्चों के लिए नर्क की कामना करनी चाहिए ताकि उन्हें पता चले कि पिता का जीवन में बच्चों के लिए क्या महत्व है।
अगर भगवान राम अपने पिता दशरथ को यह कह देते मैं वनवास नहीं जाता मैं आपके आदेशों को पिता जी नहीं मानता लेकिन उन्होंने राम बनना था तभी वह 14 वर्ष के लिए वनवास गए और आज मर्यादा पुरूषोत्तम हैं और सतयुग के राम ने तो रावण का वध कर अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह कहा कि रावण के सिर की तरफ नहीं बल्कि रावण के चरणों की तरफ खड़े होकर शिक्षा लो।
आज कलयुग से भी आगे समय चला गया जहां पिता को पुत्र गालियां देकर न केवल जलील कर रहे हैं बल्कि उन्हें मरने के लिए उकसा रहे हैं ऐसे पिता ऐसी औलाद की परवाह न करें क्योंकि कलुयग में इससे भी ज्यादा गिरावट देखने को मिलेगी।
चाहे समाज हो या परिवार अगर आपको गाली दे, नीचा दिखाए, साजिश रचे या मरने के लिए उकसाए तो ऐसे व्यक्ति को सबक सिखाना चाहिए चाहे वो पुत्र ही क्यों न हो क्योंकि बाप शब्द भगवान ने बनाया है।
बेटा अपने बाप का बाप नहीं बन सकता और वो पुत्र कहलाने का हक उसी वक्त खो चुका होता है जब वह पिता को गाली देता है और ऐसी मां जिसका पुत्र उसके सामने अपने पिता को नीचा दिखा रहा है ऐसी मां को भी गहन चिंतन करना चाहिए तब जाकर समाज में एक दिन ऐसे पुत्र पैदा होंगे जो राम, लक्ष्मण, भरत तो नहीं कहला सकते लेकिन वैसे संस्कार उनमें हो सकते हैं यदि पिता पुत्र की गाली सुनकर खामोश रहेगा तो वो पिता स्वाभिमानी नहीं होगा और उसकी परवरिश किसी कमजोर आदमी ने की होगी।