भौंकने की भाषा कुत्ते समझते हैं हम इंसान है इसलिए स्पष्ट और बेबाक लिखते हैं: सच्चाई वही व्यक्ति लिख व बोल सकता है जिसको मां सरस्वती का आशीर्वाद होता है। समाज में सच्चाई लाने वाला व्यक्ति हर कोई नहीं हो सकता, समाज में ऐसे चुनिंदा लोग होते हैं जो समाज से बुराईयों को उखाड़ने के लिए व मनमर्जी करने वालो के खिलाफ बेबाक होकर बोलते हैं और लिखते हैं और सच्चाई कड़वी होती है जिसके खिलाफ लिखी जाती है
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उसे तकलीफ होती है फिर वह साजिशें भी रचता है हर तरह के हथकंडे अपनाकर सच्चाई लिखने वाले की मुहिम को रोकने की साजिश रचता है इसके लिए सच्चाई लिखने वालों के लिए साम, दाम, दंड, भेद चारों नीतियां लागू की जाती हैं लेकिन साजिश रचने वाले यह भूल जाते हैं कि अगर क्रांतिकारी सिस्टम से डर जाते, झुक जाते या समझौता ही कर लेते तो वह भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह, करतार सराबा, खुदी राम बोस, मदन लाल ढींगरा, असफाक उल्ला खान कैसे बन जाते?
सच्चाई लिखने के लिए गुर्दा चाहिए क्योंकि समाज में ऐेसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाना जो समाज के लिए दीमक हैं, जनहितों पर कुठाराघात हैं उनके खिलाफ बोलना और लिखना आसान नहीं होता लेकिन भगवान ने रचना ऐसे की है जहां कौरव पैदा किए हैं वहां पांडव पैदा किए हैं जहां कंस पैदा किए हैं वहा कृष्ण पैदा किए हैं जहां रावण पैदा हुआ वहां राम पैदा हुआ मतलब बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए भगवान ने किसी न किसी को दायित्व सौंपा है
और एक गिरोह के खिलाफ लड़ना, सिस्टम के खिलाफ लड़ना आग का दरिया तैरने से भी मुश्किल है लेकिन शायर का बहुत अच्छी लाइनें है ‘‘गिरते हैं मैदाने जंग में सह सवार ही, वो तिफल क्या गिरे जो चले घुटनों के बल’’ जो मैदान में आकर लड़ता है वही योद्धा कहलाता है वही शहीद कहलाता है घर में बैठकर जनआंदोलन तैयार नहीं किया जा सकता समाज से बुराईयों को उखाड़ने के लिए बहुत दुश्मनियां लेनी पड़ती है,
बहुत नुकसान झेलने पड़ते हैं बहुत साजिशें सहनी पड़ती है, बहुत से अपशब्द सुनने पड़ते हैं क्योंकि जो लोग समाज में गिरोह चला रहे होते हें उनके पास गंदे लोगों की, घटिया लोगोंकी, साजिश रचने वालों की, हमला करने वाले लोगों की, फिरौती लेकर हत्या करने व किसी तरह की साजिश रचने वालों की कमी नहीं होती। समाज में सच्चाई के लिए लड़ने वाले के साथ सिर्फ भगवान होता है जैसे हनुमान जी जब माता सीता की खोज के लिए गए तो उनके खिलाफ राक्षसों के राजा रावण ने कितने साजिशें रची लेकिन भगवान हुनमान हर साजिश को मुंहतोड़ जवाब देते आगे बढ़े।
बहुत प्यारा शेयर उनके पिता डॉ. राममूर्ति शर्मा ने लिखा था ‘‘कमीने तो कमीनी हरकतें करते जमाने में लेकिन वो सबसे बड़े कमीने हैं जो कमीनों की बातों में आते हैं’’ और पिछले कई दिनों से भौंकने शब्द का इस्तेमाल हो रहा है भौं भौं शब्द का इस्तेमाल गिरोह के कुछ चमचे कर रहे हैं उनको सिर्फदो टूक संदेश है कि हमें भगवान ने इंसान बनाया है वह जानवर नहीं है और न ही भौंकने की भाषा समझते हैं जो कुत्ते हैं वही कुत्ते की भाषा समझ सकते हैं हमें तो भगवान ने इंसान की जून में भेजा है हमें भगवान ने बोलने के लिए जुबान दिया, गला दिया,
अच्छा बुरा देखने के लिए आंखे दी, कौन गलत है कौन सही है ऐसी परख दी है ऐसी बुद्धि दी है भगवान ने दिमाग दिया है बुराईयों के लिए खिलाफ लड़ने के लिए दिल व हौंसला दिया है और जिसके खिलाफ भी लिखते हैं स्पष्ट व बेबाक लिखते हैं, स्पष्ट नाम लेकर बोलते हैं इसलिए जो लोग कुत्ते हैं अभी हम उनकी जुबान समझने के लिए योग्य नहीं है क्योंकि भगवान ने हमें जानवर नहीं इंसान बनाया है
और जो लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर ज्योतिकण की मुहिम को अपशब्दों से असंसदीय शब्दों से डराने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें एक ही नसीहत है आग से खेलोंगे तो जलना तय है और सच्चाई के सामने खडना खाला जी का घर नहीं है इसलिए जो मुहिम ज्योतिकण ने शुरू की हुई है वह आज से नहीं है 35 साल से इस मुहिम को चला रहा हूं, स्थानीय राजनेता ही नहीं मुझे तो मरवाने के लिए खालिस्तानी आतंकवादी व बब्बर खालसा जैसे आतंकी संगठन मौत के घाट उतारना चाहते हैं लेकिन उन लोगों को एक ही संदेश है यश, अपयश, हानि लाभ, सब विधि हाथ है।