असीम गोयल भोले भाले लोगों का कर रहा है इस्तेमाल

अंबाला। (ज्योतिकण): योद्धा बनना है तो बंदूक अपने कंधे पर ही रख कर ही चलानी पड़ेगी दूसरे के कंधों पर बंदूक रखकर लड़ाई लड़ने वाला कभी योद्धा नहीं दोगला, धोखेबाज, पीठ पर छूरा मारने वाला कहलाता है।

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ज्योतिकण अखबार जो कुछ लिखता है खुल कर लिखता है नाम लेकर लिखता है प्रमाणों सहित लिखता है, सबूतों सहित लिखता है इसलिए कई बार हरि ओम पंवार की लाइनें भी अपनी न्यूज में लिख देता है‘‘हम वो कलम नहीं जो झुक जाती हों दरबारों में, हम शब्दों की दीपशिखा हैं अंधियारों चौबारों में, हम वाणी के राजदूत हैं सच पर मरने वाले हैं डाकू को डाकू कहने की हिम्मत रखने वाले हैं’’ और आज कल तो कानून बहुत सख्त है किसी के खिलाफ जरा सी गलत खबर लिखकर देखो पता चल जाएगा किसी की फर्जी खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके देख लो अगर सामने वाला नींद हराम न कर दे क्योंकि इस देश में कानून व संविधान का राज है

इसलिए यहां गुंडागर्दी कुछ देर के लिए चलती है क्योंकि कानून के हाथ लंबे होते हैं। आज यह खबर अंबाला शहर के पूर्व विधायक असीम गोयल को लेकर लिख रहा हूं और उससे सवाल कर रहा हूं मुझे पता है न वह सवाल का जवाब देगा क्योंकि सच्चाई का सामना करना या उसके सामने टिक पाना आसमान को हाथ लगाने वाली बात होती है।

असीम गोयल चुनाव हार गया और वह ज्योतिकण अखबार को अपनी हार का बड़ा कारण मानता है यही कारण है कि असीम गोयल के पार्टनर अरविंद अग्रवाल व उसके गुर्गें व गैंगस्टरों का साथी हलवाई सुंदर ढींगरा ने सुपारी देकर नकाबपोश भेजे थे जिनकी मंशा मेरी हत्या की थी लेकिन मारने वाले से बचाने वाला बड़ा था और लगातार असीम गोयल साजिशें रच रहा है न खुलकर सामने आता है

और पिछले कुछ दिनों से चंद मुट्Þठी भर गुर्गें सोशल मीडिया पर एक्टिव किए हुए हैं जो बिना नाम लिए असंसदीय भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि वो असीम गोयल के गुर्गें हैं किसी को नौकरी लगवाया हुआ है, किसी को आने वाले नगर निगम के चुनाव के टिकट का लालच दिया हुआ है एक को जैन कॉलेज में क्लर्कलगावाया हुआ है

एक असीम गोयल का भाई रितेश गोयल जिस जीआरएसडी स्कूल का पदाधिकारी है और असीम गोयल का पार्टनर अरविंद अग्रवाल लक्की व उसका बेटा हिमांशु जिस स्कूल में पदाधिकारी है उस स्कूल का एक क्लर्कभी सोशल मीडिया पर बिना नाम लिए पोस्टें डाल रहा है। वैसे तो ऐसी पोस्टें किसी के बहकावें में, किसी के इशारे पर, किसी के पास नौकरी लगे होने के कारण या पैसे के कारण नहीं डालनी चाहिए और अगर अपने आका असीम गोयल का आदेश मानना है तो यह सब लोग सोशल मीडिया पर किसके खिलाफ पोस्ट डालरहे हैं

इस पर स्पष्ट नाम लेकर लिखा जाए या फिर लिखवाने वाले को कहो कि आप खुद पोस्ट डालो हम लाइक और कमेंट्स करेंगे लेकिन असीम गोयल खुद कोई पोस्ट नहीं डाल रहा न उसका भाई रितेश गोयल कोई पोस्ट डाल रहा है मजे वाली बात तो यह है कि असीम गोयल भोले भाले लोगों का, जरूरतमंद लोगों का भाजपा के चंद पदाधिकारियों का इस्तेमाल करने की बजाए खुद आगे आए जिस व्यक्ति का दुष्प्रचार करना चाहता है

अपने नाम से करे ताकि पता चले किसमें कितना है दम हनुमान जी खुद लंका में गए माता सीता का भी पता लगाया और लंका को भी आग लगाई लेकिन जो कुछ किया खुद किया। अगर असीम गोयल दम खम रखते हैं तो खुद अपनी लड़ाई लड़ें जो जिस पर आरोप लगाना है खुद लगाएं और अपने गुर्गों से भी लगवाना है तो उनको कहो खुलकर लिखे नाम लेकर लिखें ताकि समाज को पता चल सके सच्चाई क्या है क्योंकि लोकतंत्र में जनता भगवान होती है आवाज-ए-खलक, नक्कारें खुदा, जनता की आवाज भगवान की आवाज होती है।

असीम गोयल को अपने गुर्गों की बाजए खुद बाईनेम अपने पेज से अपने विरोधियों को जवाब देना चाहिए और उसके गुर्गें उस पर कमेंट्स करें ताकि अपनी हैसियत का आंकलन हो सके कानून की ताकत का ज्ञान हो सके और मैं असीम गोयल व उसके गुर्गों को एक सलाह देता हूं जो भी करें कम से कम ईमानदारी से तो करें बिना नाम लिखे किसी के खिलाफ पोस्ट डालने से समाज को कैसे पता चलेगा कि यह पोस्ट किसके खिलाफ लिखी जा रही है थोड़ा मां के दूध का कर्ज चुकाएं और खुलकर फेसबुक पर असीम गोयल व उसके गुर्गें लिखें ताकि जिसके खिलाफ लिखा जा रहा है उसे भी जवाब देने का मौका मिले और समाज भी दूध का दूध और पानी का पानी कर सके।