अंबाला शहर की राजनीति में भाजपा को असीम गोयल ने किया टांय टांय फिस: अंबाला शहर के पूर्व विधायक असीम गोयल जिसको 2014 में मोदी लहर में भाजपा ने टिकट दिया और असीम गोयल के लिए मोदी लहर ब्रहम अस्त्र साबित हुई लेकिन असीम गोयल ने अंबाला शहर में भाजपा का एमएलए बनने के बाद अपनी सोच अपनी रणनीति को त्याग दिया वह भूल गया
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कि वह भाजपा का कार्यकर्ता है वह भूल गया उसे पार्टी हाईकमान ने भाजपा का टिकट दिया, वह भूल गया उसे आरएसएस ने संस्कार दिए बस जैसे ही असीम गोयल भाजपा का विधायक बना उसके तौर तरीके बदल गए यहां तक अपनी ही भाजपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गया।
हालांकि इस पर मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर ने असीम गोयल को विधायक होते हुए आढती की संज्ञा दी थी और असीम गोयल जब 2019 में विधायक बना तो उसके बाद तो अंबाला शहर में भाजपा का राज खत्म टीम असीम का शुरू।
वैसे तो 2014 में जब असीम गोयल पहली बार एमएलए बना उसी वक्त उसकी पत्नी ने अंबाला शहर में मेरा आसमान एनजीओ शुरू कर दिया जिस पर असीम गोयल का खुला प्रचार हुआ और आज तक असीम गोयल ने यह नहीं बताया कि मेरा आसमान एनजीओ में कितना बैंक बैलेंस है कितना पैसा आया और लाखों के बोर्ड लगे लेकिन भाजपा के प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की फोटो नहीं सिर्फ असीम का प्रचार और अब तो अंबाला शहर में सिर्फ असीम गोयल व उसकी टीम रह गई है
और खुले आम भाजपा की हालत असीम गोयल व उसकी टीम ने टांय टांय फिस कर दी। आज असीम दरबार में उन भाजपाइयों को कुर्सी भी नहीं मिलती जिन्होंने अपना जीवन भाजपा को दे दिया। क्या भाजपा के पास कोई ऐसा खुफिया तंत्र नहीं कि जिसे भाजपा यह जान सके कि टीम असीम क्या कर रही है।