आखिर बैंक और डाक खानों का सर्वर डाऊन क्यों हो जाता है? आम तौर पर बैंकों व डाकखानों में उपभोक्ताओं को यह सुनने को मिलता है कि कल आना आज तो सर्वर डाऊन है। आज मोदी सरकार के कारण हर गरीब अमीर बैंक से जुड़ा हुआ है, डाक खाने से जुड़ा हुआ है और आधुनिक युग है और आधुनिक सुविधाओं से बैंक भरपूर हैं
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लेकिन उसके बावजूद भी हफ्ते में एक दो दिन अक्सर बैंक के बाबू यह कहते नजर आते हैं कि आज सर्वर डाऊन है इसलिए आरटीजीएस नहीं हुई अर्थात बहुत सी चीजों में ग्राहकों को यह कहा जाता है कि सर्वर डाऊन है आखिर हम चांद पर पहुंचने का दावा करते हैं और उसके बावजूद भी आए दिन बैंकों के डाक खानों के सर्वर डाऊन हो जाते हैं कोई बेचारा बुजुर्ग है या कितनी दूर से आया है बैंक के बाबू यह भी नहीं देखते यह गर्मी में आया है या बरसात में बस यह कहकर ड्यूटी पूरी कि आज सर्वर डाऊन है।
कहीं ऐसा तो नहीं सर्वर एक बहाना हो और सर्वर के नाम पर बैंक में बैठे अधिकारी अपना सारा दिन मौज मस्ती करें, ग्राहक जाएं भाड़ में क्योंकि सर्वर महीने में एक बार खराब हो जाए दो महीने में एक बार हो जाए 6 महीने में एक बार हो जाए तो समझ आता है लेकिन ऐसा लगता है कि सर्वर खराब नहीं होता बल्कि खराब कर दिया जाता है जिस दिन बैंक के बाबू कोई काम नहीं करना चाहते और ऐसे में उनके पास एक ऐसा बहाना है जिसे कोई क्रॉस चेक नहंी कर सकता जिसे सर्वर डाऊन कहते हैं।
ठीक वैसे ही जैसे कोई डॉक्टर के पास जाता है डॉक्टर बुखार चेक कर सकता है बीपी चेक कर सकता है शुगर चेक कर सकता लेकिन अगर कोई मरीज डॉक्टर को आकर कहे कि उसे टट्यिां लग रही है तो डॉक्टर उसे चेक नहीं कर सकता डॉक्टर उसे दवाई दे देता है वैसा ही हाल बैंक में डाकखानों में है जिस दिन उन्होंने काम नहीं करना लोगों को कहते हैं आज सर्वर डाऊन है कर लो कौन सर्वर डाऊन चेक कर सकता है इस पर केंद्र सरकार को गंभीर होना होगा।