कान का कच्चा कभी तरक्की नहीं कर सकता

कान का कच्चा कभी तरक्की नहीं कर सकता: अंबाला। (ज्योतिकण): समाज में हो, कुटुंब में हो, राजनीति में हो, सरकारी नौकरी में हो, बड़ा ब्यूरोक्रेटस हो या परिवार में हो अगर कोई कान का कच्चा है तो वह ज्यादा दिन समाज में जीवित नहीं रह सकता ऐसे लोगों की आयु पानी के बुलबुले के समान होती है।

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किसी की चुगली करना, किसी की बुराई करना, किसी की पीठ के पीछे जहर घोलना, ऐसा करने वाला आदमी खतरनाक नहीं होता बल्कि खतरनाक व्यक्ति वो होता है जो बुराई सुनकर उसे मान ले चाहे वह आदमी हो, औरत हो, दोस्त हो, मित्र हो, पति हो, पत्नी हो, बहन हो, भाई हो अगर वह कान का कच्चा है तो उसके रिश्ते ज्यादा दिन टिक नहीं सकते इसके ऊपर बहुत प्यारी कहानी है

एक जंगल में शेर था सारे जानवर उससे डरते थे लेकिन जंगल में दौ बैलों का जोड़ा था जो हर वक्त इकट्ठे रहते थे और शेर उनको हाथ डालते डरता था क्योंकि एक समय में शेर एक ही बैल का शिकार कर सकता था एक दिन शेर ने प्लानिंग की और दोनों बैल जब इकट्ठे जा रहे थे तो एक बैल के कान में फूंक मार दी और फूंक मारकर चला गया

दूसरे बैल ने कहा क्या बोल कर गया तो उसने कहा दोस्त फूंक मारकर चला गया उसने नहीं बताओ क्या बोल कर गया लेकिन दूसर बैल नहीं माना और जिस बैल के कान में शेर ने फूंक मारी उस बैल ने उसको समझाया कि मैं कसम उठाता हूं शेर फूंक मारकर चला गया लेकिन दूसरा बैल टस से मस नहीं हुआ

और दोनों लड़कर अलग हो गए और शाम को शेर ने दोनों को मौत के घाट उतार दिया सिर्फबैल ने अपने दोस्त की बात नहीं मानी, विश्वास नहीं किया। कान का कच्चा बनकर दोस्ती तो खत्म की ही बल्कि अपनी जीवन लीला भी खत्म कर ली इसलिए समाज में उन लोगों से किनारा करना चाहिए बचना चाहिए जो कान के कच्चे होते हैं और जो व्यक्ति कान का कच्चा होता है वह समाज के लिए एक दीमक है। बड़ी प्यारी दो लाइनें हैं ‘‘कमीने तो कमीनी हरकतें करते जमाने में लेकिन वो सबसे बड़े कमीने हैं जो कमीनों की बातों में आते हैं’’।