मुझे कई बार गिराया लेकिन मैं फिर मजबूती से खड़ा हो जाता हूं: मैं इस संपादकीय में घिसी पिटी बातें नहीं कहूंगा जैसे अक्सर लोग दुखी होकर कहते हैं ‘‘मुझे तो अपनों ने मारा बेगानों में कहां दम था’’ कोई किसी को नहीं मार सकता यह सब व्यर्थ की बातें हैं।
अनिल विज जैसे मंत्री जनता की गुरुओं की सोच पर चलते हुए सेवा कर रहे है
हिन्दु देवी देवताओं के खिलाफ अपशब्द बोलने वाले हरजीत सिंह ने मांगी माफी
अलग अलग ग्रंथों में स्पष्ट है कि जीवन सत्य नहीं मौत सत्य है यश, अपयश, हानि-लाभ, जीवन-मरण विधि हाथ मौत का स्थान कारण, समय तय है इसलिए मौत से किसी भी कीमत पर हमें डरना नहीं चाहिए बड़े बड़े विद्वानों ने कहा अगर इंसान के सबसे नजदीक कोई चीज है तो वह मौत है फिर मौत से क्या डर, जिंदगी ने मुझे बहुत बार गिराया, बहुत बार अग्नि परीक्षा ली लेकिन मैं जब जब गिर कर उठा पहले से मजबूत हुआ।
मुझे ऐसा नहीं मारने वाला विरोधी ही रहा मुझे अपनों ने भी बहुत क्षति पहुुचाने का प्रयास किया, समाज में बदनाम करने का प्रयास किया लेकिन मैं मंद हाथियों की तरह उन कुत्तों की परवाह किए बिना जो मेरे पीछे भौंकते आ रहे थे आगे बढ़ता चला गया।
हालात कुछ भी रहे हों युद्ध चाहे विरोधी से हो या धर्म युद्ध हो उसको ईमानदारी से लड़ना चाहिए जब मौत इंसान के हाथ नहीं तो फिर वह किससे भयभीत हो रहा है और आज के समय में चोर उच्चको को कोई बदनाम नहीं करता, बदनाम तो उन्हें ही करने की साजिश रची जाती है जिस व्यक्ति के पास कोई ताकत हो अर्थात पत्थर उसी वृक्ष को लगता है जिसके ऊपर फल लगे हो इसलिए मुझे गिराने वाले कोई भी हों वो प्रयास जारी रखें लेकिन एक पुरानी कहावत है जिस पर मैं विश्वास करता हूं सौ सुनार की एक लोहार की।